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भावबोधिनी टीका. सप्तमानस्वरूपनिरूपणम्
७६३ उपासकों के (सीलव्चयवेरमणगुणपञ्चक्खाणपोसहोववासपडिवजणयाओ। शीलव्रतविरमणगुणप्रत्याख्यानपौषधोपवासप्रतिपादनता:-शील-सामायिक, देशावकाशिक-(दशवांपोषध), अतिथिसंविभागवत, विरमण-मिथ्यात्वादि से निवृत्ति, गुण-तीनगुणवत, प्रत्याख्यान-पर्वदिन में त्याग करने योग्य वस्तु त्याग करना, पोषधोपवास-अष्टमी, चतुर्दशी आदि पर्वदिनों में आहार, शरीरसत्कार आदि का त्याग उसे पोषध कहते हैं उसके साथ जो उपवास-अहोरात्र रहना वह पोषधोपवास है, इन सब बातों का इसमें वर्णन है। सुयपरिगाहा) श्रुतपरिग्रहा:-श्रुताध्ययन का, (तवोवहाणा) तपोपधानानि-उग्रतप का आचरण करना, (पडिमाओ) प्रतिमा:ग्यारह प्रतिमाओं का अथवा कायोत्सर्ग का, (उवसग्गा) उपसर्गाः-देवादिकृत उपद्रवों का (संलेहणाओ) सलेखनाया-संलेखनाका, (भत्तपच्चक्खाणाई) भक्त प्रत्याख्यानानि-भक्तप्रत्याख्यान का. (पाओवगमणाई) पादपोपगमनानि-पादपोपगमन आदि संथारो का, (देवलोगगमणाई) देवलोकगमनानि-देवलोकों में उत्पन्न होने का, (सुकुलमच्चायाया) सुकुलप्रत्या. यातानि-वहां से चक्कर उत्तमकुल में जन्म लेने का, (पुगोबोहिलामा) पुनर्बोधिलाभ:-पुन:बोधिलाभ का, [अंतकिरियाओ] अन्तक्रियाश्च-अन्तक्रिया-मोक्षप्राप्त करने का, (आघविजति) आख्यायन्ते-इसमें इन सब २५ मा न मावे छे. (उवासयाणं) उपासकाना-उपासना (सीलब्वयवे. रमणगुणपञ्चक्खाणपोसहोबवासपडिवजणयाओ ) शीलवतविरमणगुणप्रत्याख्यानपौषधोपवासप्रतिपादनता:-शीम-सामयि४, हे॥१४॥शि:-(दशवा पोषध), अतिथिसविलायत, वि२भए-मिथ्यात्व माहिमांथी निवृत्ति, गु- गु વ્રત, પ્રત્યાખ્યાન પર્વના દિવસોમાં ત્યાગ કરવા પાત્ર વસ્તુઓનો ત્યાગ, પિષધોપવાસ -આઠમચૌદશ આદિ પર્વ દિવસોમાં આહાર શરીરસત્કાર આદિને ત્યાગ કરે તેને પિષ घोपवास ४९ छ. ये थी मामतानु २मा म न छे (सुयपरिग्गहा) श्रुतपरिग्रहा:-श्रुताध्ययन, (तवोवहाणा) तपोपधनानि-उतपनी माराधनानु, (पडिमाओ) प्रतिमाः- मनियार प्रतिभा मानु पथवा योत्सनु, (उक्सग्गा) उपसर्गा:-देवा त सोनु, (संलेहणाओ) संलेखनायाः-मनानु, (भत्तपञ्चक्खाणाई) भक्तप्रत्याख्यानानि-मतप्रत्याभ्याननु, (पाअोवगमणाई) पादपोपगमनानि-पापापशमन मा सयारामानु, (देवलोकगमणा)देवलोकगमनानि-हेयसभा उत्पन्न वार्नु, [सुकुलपच्चायाया) सुकुलप्रत्यायातानित्याथी व्यवीन उत्तममा म पाभवानु, (पुणोबहिलामा) पुनर्बोधिलाभ:पुनःमालिनु, (अंतकिरियाओ) अन्तक्रियाश्च-मने भीक्षातिनु, म PATI (आघविजंति) आख्यायन्ते-नि३५६५ ४२॥युछे, (उवासगदसासु ण) उपासकद
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર