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भावबोधिनी टीका. षोडशसमवाये गाथाषोडशादीनां निरूपणम्
पादकमध्ययनम् मार्गाध्ययनम् । 'समोसरणे' 'समवसरणम् - समवत्रियते धातुनामनेकार्थत्वान्निरूप्यते त्रिषष्ट्यधिकत्रिशतानां मवादिनां मतसमूहो यत्र तदध्ययनम् । 'आहातहिए' याथातथिकम्, यद् वस्तु यथा, तत्तथैव प्रतिपाद्यते यत्र तदध्ययनम् । 'गंथे' ग्रन्थः ग्रभ्यते बध्यते आत्माऽनेनेति ग्रन्थः, असौ द्रव्यभावभेदाद् द्विविधः तत्प्रतिपादकमध्ययन ग्रन्थाध्ययनम् । 'जमइये' यमतीतम् यमतीतेत्याद्यं पदं यत्र तदध्ययनम् । 'गाहा सोलसमे सोलसगे, गाथाषोडशम्, प्रकार के मार्ग का प्रतिपादन होने से इस अध्यय का नाम 'मार्ग' रखा गया है । यह मार्ग भगवान् के वचनस्वरूप है अतः इसका प्रवर्तक होने से और स्वतः प्रमाणभूत होने से यह सकलजनों द्वारा आहत हुआ है, तथा इसमें बहुश्रुत अशठ साधुओं के आचार का वर्णन किया गया है इसलिये यह मार्ग इन दोनों स्वरूप है । १२ समवसरण' धातुओं के अनेक अर्थ होते हैं इस अपेक्षा यहां समवसरण शब्द का अर्थ निरूपण करना है । इस अध्ययन में तीनसौ तिरसठ प्रवादियों के मतों का वर्णननिरूपण किया है इसलिये इस अध्ययन का नाम 'समवसरण ' है । १३ याथातथका' इस अध्ययन में जिस वस्तु का जो स्वरूप है वह प्रतिपादित हुआ हैं इसलिये इस अध्ययन का नाम 'याथातथिक' रखा गया है । १४ 'ग्रन्थ' आत्मा जिस के द्वारा बांध लिया जाता है उसका नाम ग्रन्थ है, द्रव्य ग्रन्थ और भावग्रन्थ, इस तरह ग्रन्थ दो प्रकार का कहा गया है । इस द्विविध ग्रन्थ का प्रतिपादक जो अध्ययन है वह ग्रन्थ' है । १५ यमतीत' 'यमतीत' इस प्रकार का जिस अध्ययन में आद्य पद हैं उस प्रतिपादृछ होवाथी गया अध्ययननु' नाम 'मार्ग' पड्यु मा भार्ग भगवाननां वयन સ્વરૂપ છે, તેથી તેને પ્રવતક હોવાથી અને સ્વતઃ પ્રમાણભૂત હાવાથી તે સકલના દ્વારા ગ્રહણ કરાયેલ છે, તથા તેમાં બહુશ્રુત અશ સાધુઓના આચારાનુ વષઁન पुरायुं छे, तेथी या भार्ग से जन्नेनु स्व३५ प्रगट कुरे छे (१२) 'समवसरण ધાતુઓના અનેક અ હેાય છે. તે અપેક્ષાએ અહીં શબ્દના અર્થનુ નિરૂપણ કરવુ તેનુ નામ સમવસરણ છે. આ અધ્યયનમાં ૩૬૩ પ્રવાદિયાના મતનું વણુઘ્ન-નિરૂપણ पुरायुं छे. तेथी या अध्ययननु नाम 'समवसरण' छे. (13) 'याथातथिक' भ અધ્યયનમાં જે વસ્તુનું જે સ્વરૂપ છે, તેનું પ્રતિપાદન કરાયુ છે. તેથી આ અધ્યયનનુ नाम ' याथातथिक' राज्यु छे (१४) 'ग्रन्थ' आत्मा लेना द्वारा धाय छे तेने ગ્રન્થ' કહે છે. દ્વવ્યગ્રન્થ અને ભાવગ્રન્થ આ રીતે ગ્રન્થના એ પ્રકાર કહેલ છે, या मे अहारना ग्रन्थनु प्रतिभा के अध्ययन छे तेनु' नाम ' ग्रन्थ' छे. (१५) 'यमतीत' - ? अध्ययननुं यह 'यमतीत' छे, ते अध्ययननुं नाम
हेतु
શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર
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