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मिथ्वात्विक्रियाधिकारः।
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करनीको मोक्षमार्गके आराधनमें ठहरानेके लिये जीतमलजीने पापयुक्त और पापसे रहित पुरुषोंको एक कह दिया है अत: बुद्धिमानोंको इनकी प्ररूपणा शास्त्रविरुद्ध समझनी चाहिये ।
इसी तरह भ्रमविध्वंसनकारने जो उवाई सूत्रोक्त अकामनिर्जराकी क्रिया करने वाले पुरुषको संवर नहीं होनेसे अनाराधक होना बतलाया है यह भी मिथ्या है क्योंकि गौतम स्वामीने वहां पर यह पूछा है कि जो पुरुष संवरसे रहित है पर अकामनिर्जराकी करनी करके स्वर्गमें जाता है वह मोक्षमार्गका आराधक है या नहीं ? इस प्रश्नका आशय यही हो सकता है कि उक्त पुरुषकी अकाम निर्जरा मोक्ष मार्गके आराधनमें है अथवा नहीं ? यदि है तब तो वह आराधक है और नहीं है तो आराधक नहीं है क्योंकि किसी बातका संशय होनेसे ही प्रश्न होता है निश्चय होनेसे नहीं होता जब कि उवाई सुत्रोक्त पुरुषमें संवरकी आराधना न होना स्वयं गोतम स्वामीको निश्चित है तब वह इस पुरुषको आराधक होनेके विषयमें जो प्रश्न करते हैं इसका अभिप्राय यही हो सकता है कि इसकी अकाम निर्जराकी क्रिया मोक्ष मार्गके आराधनमें है अथवा नहीं। इस प्रश्नका उत्तर देते हुए भगवान्ने इसे मोक्ष मार्गका अनाराधक कहा है इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि संवर रहित निर्जराकी क्रिया मोक्षमार्गके आराधनमें नहीं है पर उसके द्वारा पुण्य बांध कर वह स्वर्गगामी होता है। यदि संवर रहित निर्जराकी क्रिया मोक्षमार्गके आराधनमें होती तो भगवान् इस पुरुषको मोक्षमार्गका अनाराधक क्यों कहते ? इस प्रकार बातके स्पष्ट होते हुए भी भोले जीवोंमें भ्रम फैलानेके लिये जीतमलजीने उवाई सूत्रोक्त पुरुषमें संवर नहीं होनेसे जो अनाराधक और निर्जराके होनेसे आराधक कहा है यह मिथ्या है ऐसा कभी नहीं होता कि “आम्रान् पृष्ठः को विदारान् आचष्ट" आमके विषयमें बात पूछी जाय और “को विदार" के विषयमें उत्तर मिले। जब कि गोतम स्वामी अकाम निर्जराकी करनीके विषयमें प्रश्न करते हैं और उसीके होनेसे उक्त पुरुषको आराधक होने की जिज्ञासा करते हैं तब तीर्थकर प्रकृत प्रश्न अकाम निर्जराके सम्बन्धमें उत्तर न देकर अप्रस्तुत विषय संवरके न होनेसे अनाराधक कहें यह कदापि नहीं हो सकता। इसलिये यहां भगवानने गोतम स्वामीकी पूछी हुई बातका ही उत्तर दिया है और संवर रहित निर्जराकी करनीके मोक्ष मार्गमें न होनेसे ही उक्त पुरुषको मोक्षमार्गका अनाराधक कहा है अतः उवाई सूत्रोक्त पुरुषको निर्जराकी करनीसे मोक्षमार्गका आराधक बतलाना प्रत्यक्ष शास्त्र विरुद्ध है। वास्तवमें अकाम निर्जराकी क्रियाके मोक्षमार्गमें न होनेसे उवाई सूत्रोक्त पुरुषको मोक्ष मार्गका अनाराधक कहा है यही शास्त्र सम्मत बात समझनी चाहिये ।
(बोल तेरहवां)
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