Book Title: Saddharm Mandanam
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Tansukhdas Fusraj Duggad

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Page 536
________________ ४८६ सद्धर्ममण्डनम् । तरागको आज्ञाका अनाराधक अज्ञानी जीवोंको आज्ञा बाहरकी क्रियासे स्वर्ग प्राप्त करना कहा है अतः आज्ञा बाहर की क्रियासे भी पुण्य वन्ध होना स्पष्ट सिद्ध होता है। तथापि आज्ञा बाहर की क्रिया से पुण्यवन्धका निषेध करके अज्ञानियों की अकाम निर्जरा आदि क्रियाओंको आज्ञामें कायम करना अज्ञानका परिणाम समझना चाहिये । इस विषयका विस्तृत विवेचन मिथ्यात्वि क्रियाधिकारमें किया गया है विशेष जिज्ञासुओं को वहीं देखना चाहिये। (बोल ३ समाप्त) (इति क्रियाधिकारः) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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