Book Title: Saddharm Mandanam
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Tansukhdas Fusraj Duggad

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Page 518
________________ ४६८ सद्धममण्डनम् । कर भी संज्ञी कहा है उसी तरह असंज्ञीसे मर कर प्रथम नारकि और भुवनपति आदिमें उत्पन्न होने वाले जीवोंको भी अवश्य संज्ञी कहते परन्तु कहीं भी उक्त जीवको संज्ञी नहीं कहा है सभी जगह उसे असंज्ञी कहकर ही बतलाया है और कई टीकाकारोंने तो साफ साफ उक्त जीवोंमें असंज्ञीके भेदका कथन किया है इस लिये पूर्वोक्त दृष्टान्तोंके आश्रयसे प्रथम नारकि भुवनपति और व्यन्तर देवताओंमें असंज्ञीके अपर्याप्त भेदका खण्डन करना अज्ञान समझना चाहिये। (बोल ६ हा समाप्त) इति जीवभेदाधिकारः। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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