Book Title: Saddharm Mandanam
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Tansukhdas Fusraj Duggad

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Page 533
________________ . सूत्रपठनाधिकारः। ___ ४८३ अंग और बाह्य उत्तराध्ययन आदिके द्वारा सम्यक्त्वका लाभ करता है वह "सूत्र रुचि" कहा जाता है । वह गाथा यह है: "जे सुत्त महिज्जतो सुएण ओगाहह संमत्तं अंगण वाहिरेण य सोसुत्तइत्ति नायव्वो" (उत्तराध्ययन अ० २८ गाथा २१) इस गाथामें, जो पुरुष साधु नहीं है परन्तु सूत्र पढ़ कर सम्यक्त्वका लाभ करता है उसे “सूत्र रुचि" कहा है इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि साधुसे इतर पुरुष को भी शास्त्र पढ़नेका अधिकार है अत: साधुके सिवाय समीको शास्त्र पढ़नेका अनधिकारी बताना अज्ञानियोंका कार्य समझना चाहिये । [बोल ९ वां समाप्त ] इति सूत्रपठनाधिकारः) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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