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मिथ्यात्विक्रियाधिकारः ।
हस्व किये हुए हैं। महार रहित होकर गुरुके आश्रयमें रहते हैं, बिनीत हैं, माता पिताके वचन को उल्लान नहीं करने वाले हैं, माता पिता की सेवाशुश्रूषा करते हैं, अल्पारम्भी अल्पपस्त्रिही हैं और अल्प मारम्भ समारम्भसे अपनी जीविका चलाते हैं वे बहुत वर्षों तक अपनी आयुको पूर्ण करके काल्के अवसरमें मृत्युको प्राप्त होकर वाण व्यन्तर संज्ञक देवलोकमें देवता होते हैं वहां वे चौहद हजार वर्ष तक रहते हैं। शेष पूर्वत् है। यह ऊपर लिखे पाठका अर्थ है।
__ इसमें कहा है कि परोपकार करनेवाले विनीत और मातापिताकी आज्ञा पालने वाले पुरुष देवलोकमें जाते हैं। यदि मातापिताकी आज्ञा पालन करना उनकी सेवाभक्ति करना एकान्त पापमें होती तो उससे स्वर्ग जाना इस पाठमें क्यों कहा जाता ? स्वर्ग प्राप्ति पुण्यसे होती है पापसे नहीं होती। परन्तु भ्रमविध्वंसनकार मूढ मतियोंको वहकानेके लिये लिखते हैं
“अहो महानुभावो ! ए गुण नहीं ए तो प्रतिपक्ष बचन छै। जे इहां इम कह्यो सहजे पतला क्रोध मान माया लोभ । क्रोध मान माया लोभ पतला थोड़ा ते तो अव गुण इज छै थोडा अवगुण छै पिण क्रोधादिक तो गुण नहीं पिण प्रतिपक्ष बचने करी
ओल खायो छै। पतला क्रोधादिक कह्या तिवारे जाडा क्रोधादिक नहीं ए गुण कह्या छै।" यह लिख कर भ्रमविध्वंसनकार मूल पाठमें कहे हुए विनयकरने तथा माता पिताके वचन का उल्लङ्घन न करनेको गुण नहीं मानते । अतः इनके मतमें विनय करना भी बुरा है और अविनय करना भी बुरा है परन्तु यह बात शास्त्र और अनुभवसे सर्वथा विरुद्ध है। यदि विनय करना बुरा है तो अविनय करना अच्छा होना चाहिए एवं अविनय करना बुरा है हो विनय करना अच्छा होना चाहिए लेकिन विनय और अविनय दोनों ही, बुरे हों यह बात नहीं हो सकती है इस पाठमें विनय करना स्पष्ट गुण बतलाया है उसे बुरा बताना शास्त्रसे भी विरुद्ध है।
इसी तरह प्रतिपक्ष वचनका नाम लेकर इस पाठमें कहे हुए विनय आदि गुणोंकों दोष कहना भी अज्ञान है। जैसे विनयका प्रतिपक्ष बचन अविनय और लघुक्रोध मान माया और लोभके प्रतिपक्ष बचन, महान् क्रोध मान माया और लोभ होते हैं उसी तरह माता पिताके वचनको उल्लङ्घन नहीं करनेका प्रतिपक्ष वचन मातापिताके वचनका उल्लबन करना होता है यदि प्रतिपक्ष वचनसे इस पाठमें गुण बतलाये हैं तो भ्रमविध्वंसनकारके मतमें माता पिताके वचनको उल्लङ्घन करना गुग कहना चाहिए क्योंकि मातापिता के वचनको उल्लङ्घन न करनेका प्रतिपक्ष वचन उनके वचनको उल्लङ्घन करना होता है। यदि माता पिताके वचनको उल्लङ्घन करना गुण नहीं मानते तो उनके वचनको उल्लङ्घन
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