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लेश्याधिकारः।
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सप्त तत्र “किण्हलेसस्स” इत्यादि कृश्णलेश्यस्य नीललेश्यस्स कापोत लेश्यस्यच जीवराशेर्दण्डको यथौधिकजीवदण्डकस्तथाऽध्येतव्यः प्रमत्ता प्रमत्त विशेषण वज्यः कृष्णादिपुहि अप्रशस्त भावलेश्यासु संयतत्वंनास्ति यच्चोच्यते पुव्वं पडिवन्नाओ पुण अनेरिएउ लेस्साए" त्ति तद्रव्य लेश्यां प्रतीत्येतिमंतव्यम् । ततस्तासु प्रमत्तायभावः । तत्रसूत्रोज्चारण मेवम् । “किण्हलेस्साणं भन्ते ! जीवा किं आयारंभा पगरंभा तदुभयारंभा मणारंभा ? । गोयमा ! आयारंभावि जावणो अणारंभा, सेकेण?णं भन्ते ! एवं बुच्चइ ? गोयमा ! अविरयं पडुच्च" एवं नील कापोतलेश्या दण्डकावपीति । तथा तेजोलेश्या दे जीर्वराशेर्दण्डकाः यथौधिक जीवास्तथा वाच्यः नवरं तेषु सिद्धानवाच्याः सिद्धानामलेश्यत्वात् तच्चैवं "तेउलेस्साणं भन्ते ! जीवा किं आयारंभा ४ गोयमा ! अत्थेगइया आयारंभावि जावणो अनारंभा। अत्थेगइया नोआयारंभा जाव अणारंभा। सेकेणतुणं भन्ते ! एवं वुच्चइ ? गोयमा ! दुविहा तेउलेस्सा पन्नत्ता संजयाए मसजयाए"
इस टीकाके अनुसार मूल पाठका अर्थ यह है___ अर्थात् जोव दो प्रकारका होता है एक सलेश्य और दूसरा अलेश्य । सलेश्य जीवोंका वर्णन सामान्य जीवोंका वर्णनके समान जानना चाहिये। कृष्ण, नील और कापोत लेश्या वाले जीवोंका वर्णन भी समुच्चय जीवोंका वर्णनके समान ही जानना चाहिये परन्तु इनमें प्रमादी और अप्रमादी ये दो भेद नहीं होते क्योंकि कृष्ण नील
और कापोत भाव लेश्याओंमें संयतपना ( साधुपना) नहीं होता। कहीं कहीं साधुओं में छः लेश्याओंका भी उल्लेख है वह द्रव्यलेश्याकी अपेक्षासे समझना चाहिये भावलेश्याकी अपेक्षासे नहीं अतः कृष्ण नील और कापोत इन तीन भाव लेश्याओंमें प्रमत्त और अप्रमत्त रूप दो भेद नहीं कहने चाहिये। कृष्गादि लेश्याओंमें सूत्रका उच्चारण इस प्रकार करना चाहिये । “कण्हलेस्साणं भन्ते ! जीवा" इत्यादि।
__ अर्थात् हे भगवन ! कृष्ण लेश्यावाले जीव आस्मारंभी परारंभी और तदुभयारंभी होते हैं या अनारंभी होते हैं ?
(उत्तर) हे गोतम ! कृष्णलेश्या वाले जीव आत्मारंभी परारंभी और तदुभयारंभी होते हैं अनारंभी नहीं होते।
(प्रश्न ) हे भगवन ! कृष्णलेश्था वाले जीव अनारंभी नहीं होते किन्तु आत्मारंभी परारंभी और तदुभयारंभी होते हैं इसका क्या कारण है ?
(उत्तर ) हे गोतम ! कृष्णलेश्या वाले जीव, अव्रतकी अपेक्षासे आत्मारंभी परारंभी और तदुभयारंभी होते हैं अनारंभी नहीं होते। इसी तरह नील और कापोतलेश्या वाले जीवोंको भी समझना चाहिये।
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