________________
दानाधिकारः।
१५७
(प्रश्न ) हे भगवन् ! जिसको आरम्भिकी क्रिया होती है क्या उसको अप्रात्याख्यानिकी क्रिया होती है ?
(उत्तर) हे गोतम ! जिसको आरंभिकी क्रिया होती है उसको अप्रत्याख्यानि की क्रिया होती भी है और नहीं भी होती है परन्तु जिसको अप्रत्याख्यानिकी क्रिया होती है उसको आरंभिकी क्रिया अवश्य होती है।
(इसका भाव यह है कि प्रारंभिकी क्रिया षष्ट गुण स्थान पर्यन्त होती है परन्तु पञ्चम और षष्ठ गुण स्थानमें प्रत्याख्यान होनेसे अप्रत्यानिकी क्रिया नहीं होती इसलिये यहां आरंभिकीके साथ अप्रत्याख्यानिकी क्रियाकी भजना कही गई है। चतुर्थ गुण स्थान तकके जीवोंको अप्रत्याख्यानिकी क्रिया होती है और उनमें आरंभिकी क्रियाका भी सद्भाव होता है इस लिये अप्रत्याख्यानिकी क्रियाके साथ आरंभिकी क्रियाका नियम कहा गया है)
(प्रश्न ) हे भगवन् ! जिसको आरंभिकी क्रिया होती है क्या उसको मिथ्या दर्शन प्रत्यया क्रिया होती है ?
(उत्तर) हे गोतम ! जिसको मारंभिकी क्रिया होती है उसको मिथ्या दर्शन प्रत्यया क्रिया होती भी है और नहीं भी होती है परन्तु जिसको मिथ्या दर्शन प्रत्यया क्रिया होती है उसको आरंभिकी क्रिया अवश्य होती है।
(इसका अभिप्राय यह है कि आरंभिकी क्रिया चौथे पांचवें और छठे गुण स्थानमें भी होती है परन्तु वहां मिथ्या दशन प्रत्यया क्रिया नही होती क्योंकि इन गुण स्थानोंके जीव सम्यग्दृष्टि होते हैं अतः आरंभिकी क्रियाके साथ मिथ्यादर्शनप्रत्यया क्रियाकी भजना कही है। मिथ्या दर्शन प्रत्यया क्रिया मिथ्यादृष्टिको होती है और उसमें आरंभिकी क्रिया भी मौजूद है इस लिये मिथ्या दर्शन प्रत्यया क्रियाके साथ आरंभिकी क्रियाका नियम कहा गया है)।
आरंभिकी क्रियाके साथ शेष चार क्रियाओंकी भजना और नियमाका विचार कर दिया गया अब पारिग्रहिकी क्रियाके साथ उसके आगेकी क्रियाओंकी भजना और नियमका विचार किया जाता है। . (प्रश्न ) हे भगवन् ! जिसको पारिग्रहिकी क्रिया होती है क्या उसको माया प्रत्यया क्रिया होती है ?
(उत्तर) हे गोतम ! जिसको पारिपहिकी क्रिया होती है उसको माया प्रत्यया क्रिया अवश्य होती है परन्तु जिसको माया प्रत्यया क्रिया होती है उसको पारिग्रहिकी क्रिया होती भी है और नहीं भी होती है।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com