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सद्धमण्डनम् ।
सम्मुख जानेसे महान फल होना बतलाते हैं इससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि जिस काय्ये
के लिये साधु आज्ञा नहीं देते वह सब कार्य्यं एकान्त पाप ही हो यह कोई नियम नहीं है अत: आज्ञा बाहर के कार्यों को एकान्त पाप कहना अज्ञान मूलक समझना चाहिये ।
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( बोल ३८ )
इति अनुकम्पाधिकारः ।
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