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* अरिहन्त ®
(१३) श्री चन्द्रबाहुस्वामी—पूर्व पुष्करार्धद्वीप के मन्दिर मेरु से पश्चिम महाविदेह की ८वीं पुष्कलावती विजय की पुण्डरीकगणी नगरी के देवकर राजा की यशोज्ज्वलरेणुका रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम सुन्दरा । लक्षण पद्म-कमल का।
(१४) श्री ईश्वरस्वामी-पूर्व पुष्करार्धद्वीप के मन्दिर मेरु से पश्चिम महाविदेह की १५वीं वप्राविजय की विजय नगरी के कुलसेन राजा की यशोज्ज्वला रानी से उत्पन्न हुए । स्त्री का नाम भद्रावती । लक्षण चन्द्रमा का ।
(१५) श्री भुजंगस्वामी—पूर्व पुष्करार्धद्वीप के मन्दिर मेरु से पश्चिम महाविदेह की हवीं वच्छ विजय की सुसीमा नगरी के महाबल राजा की महिमावती रानी से उत्पन्न हुए । स्त्री का नाम गर्वसेना । लक्षण पद्म का ।
(१६) श्री नेमप्रभस्वामी-पूर्व पुष्करार्धद्वीप के मन्दिर मेरु से पश्चिम महाविदेह की २४वीं नलिनावती विजय की वीतशोका नगरी के वीरसेन राजा की सेनादेवी रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम मोहनादेवी । लक्षण सूर्य का ।
(१७) श्री वीरसेनस्वामी-पश्चिम पुष्कराध द्वीप के विद्युन्माली मेरु से पूर्व महाविदेह की ८वीं पुष्कलावती विजय की पुण्डरीकगणी नगरी के भूमिपाल राजा की भानुमती रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम राजसेना । लक्षण वृषभ का।
___ (१८) श्री महाभद्रस्वामी–पश्चिम पुष्कराध द्वीप के विद्युन्माली मेरु से पश्चिम महाविदेह की २५वीं वप्रा विजय की विजया नगरी के देवसेन राजा की उमादेवी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम सूर्यकांता । लक्षण हाथी का। __ (१६) श्री देवसेनस्वामी—पश्चिम पुष्करार्ध द्वीप के विद्युन्माली मेरु से पूर्व महाविदेह की हवीं वत्स विजय की सुसीमा नगरी के सर्वानुभूति राजा की गङ्गादेवी रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम पद्मावती। लक्षण चन्द्रमा का।
(२०) श्री अजितवीर्यस्वामी–पश्चिम पुष्कराध द्वीप के विद्युन्माली मेरु से पश्चिम महाविदेह क्षेत्र की २४वीं नलिनावती विजय की वीतशोका