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ॐ जैन-तत्त्व प्रकाश
(६) श्री स्वयंप्रभस्वामी-पूर्व धातकीखण्डद्वीप के विजय मेरु से पश्चिम महाविदेह क्षेत्र की २५वीं वना विजय की विजया नगरी के मित्रभुवन राजा की सुमङ्गला रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम वीरसेना। लक्षण चन्द्रमा का।
(७) श्री ऋषभाननस्वामी-पूर्व धातकीखण्डद्वीप के विजय मेरु से पूर्व के महाविदेह क्षेत्र की हवीं वत्सविजय की सुसीमा नगरी के कीर्ति राजा की वीरसेना रानी से उत्पन्न हुए । स्त्री का नाम जयवन्ती । लक्षण सिंह का।
(८) श्री अमन्तवीर्यस्वामी—पूर्व धातकीखण्डद्वीप के विजय मेरु से पश्चिम महाविदेह क्षेत्र की २४वीं नलिनावती विजय की वीतशोका नगरी के मेव राजा की मङ्गला रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम विजयवती । लक्षण छाग ( बकरे ) का।
(8) श्री सूरप्रभस्वामी-पश्चिम धातकीखण्डद्वीप के अचलमेरु से पूर्व दिशा के महाविदेह क्षेत्र की आठवीं पुष्कलावती विजय की पुण्डरीकगणी नगरी के नाग राजा की भद्रा रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम विमला । लक्षण सूर्य का।
(१०) श्री विशालधरस्वामी-पश्चिम धातकीखण्डद्वीप के अचल मेरु से पश्चिम के महाविदेह क्षेत्र में, २५वीं वप्रा विजय की विजया राजधानी में विजय राजा की विजयादेवी रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम नन्दसेना । लक्षण चन्द्रमा का ।
(११) श्री वज्रधरस्वामी-पश्चिम धातकीखण्डद्वीप के अचलमेरु से पूर्व के महाविदेह क्षेत्र की हवीं वत्स विजय की सुसीमा नगरी के पद्मरथ राजा की सरस्वती रानी से उत्पन्न हुए । स्त्री का नाम विजयादेवी । लक्षण वृषभ का । ___ . (१२) श्री चन्द्राननस्वामी-पश्चिम धातकीखएडद्वीप के अचलमेरु से पश्चिम महाविदेह की २४वीं नलिनावती विजय की वीतशोका नगरी के वाल्मिक राजा की पद्मावती रानी से उत्पन्न हुए । स्त्री का नाम लीलावती। लक्षण वृषभ का।