________________
ॐ अरिहन्त
[ ४१
इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में, वर्तमानकाल के दूसरे तीर्थङ्कर श्री अजितनाथजी के समय में हुए उत्कृष्ट संख्यक १७० तीर्थङ्करों के नाम बतलाये जा चुके हैं। इनमें १६ तीर्थङ्कर नीलम जैसे श्याम वर्ण के, ३८ पन्ना के समान हरित वर्ण के, ३० माणिक के सदश लाल वर्ण के, ३६ स्वर्ण के समान पीत वर्ण के और ५० हीरा के समान श्वेत वर्ण के हुए हैं। ऐसा ग्रन्थकारों का मत है।
वर्तमानकाल में, पंचमहाविदेह क्षेत्र में विद्यमान तीर्थङ्कर
(१) श्री सीमन्धर स्वामी-जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरु पर्वत से पूर्व दिशा के महाविदेह क्षेत्र की ८वीं पुष्कलावती नामक विजय की पुण्डरीकिणी नगरी के श्रेयांस राजा की सत्यिकी रानी से उत्पन्न हुए। इनका लक्षण (चिह्न) वृषभ का । स्त्री का नाम रुक्मिणी ।
(२) श्री युगमन्धरस्वामी-जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरु से पश्चिम के महाविदेह क्षेत्र की २५वीं वा विजय की विजया राजधानी के सुसढ राजा, सुतारा रानी से हुए। लक्षण छाग (बकरे) का । स्त्री का नाम प्रियंगमा ।
(३) श्री बाहुस्वामी-जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरु से पूर्व के महाविदेह क्षेत्र की हवीं वत्सविजय की सुसीमा नगरी के सुग्रीव राजा की विजया रानी से उत्पन्न हुए । इनका लक्षण मृग का । स्त्री का नाम मोहना ।
(४) श्री सुबाहुस्वामी-जम्बूद्वीप के सुदर्शन मेरु से पश्चिम महाविदेह क्षेत्र की २४वीं नलिनावती विजय की वीतशोका नगरी के निसढ राजा की विजया रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम किम्पुरिषा। लक्षण मर्कट का ।
(५) श्री सुजातस्वामी-पूर्व धातकीखण्डद्वीप के विजय मेरु से पूर्व की महाविदेह क्षेत्र की ८वीं पुष्कलावती विजय की पुण्डरीकिणी नगरी के देवसेन राजा की देवसेना रानी से उत्पन्न हुए। स्त्री का नाम जयसेना । लक्षण सूर्य का।