________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
महाराजा कुमारपाल चौलुक्य
राजस्थान में १८४ वर्ष लिखे हैं । परन्तु हमें यह ठीक नहीं जंचता ।
चौलुक्यवंश के राजा चौलुक्यवंश का मूलराज वि० सं० ९९८ में गुजरात का पहला राजा हुआ, जिसने ५५ वर्ष पर्यन्त राज्य किया। इसके बाद क्रमशः चामुण्डराज, वल्लभराज, दुर्लभराज, भीमराज (प्रथम), कर्णराज. ये छः राजा हुए, जिन्होंने गुजरात में राज्य कर के प्रजा का पालन किया ।
सिद्धराज जयसिंह कर्णदेव' का उत्तराधिकारी गुजरात का राजा उसी
१. मूलराजस्ततो जज्ञे वसुनन्दाहायने ।
पञ्चपञ्चाशद्शरदां स्वच्छ राज्य चकार सः ॥ गु० दे० सू० ३४ ॥ टांड महोदय ने मूलाज का राज्यकाल ५८ वर्ष लिखा है। टां० रा० पृ. ७०५।
चौलुक्य, चालुक, चालुक्क, चौलक और सौलङ्की ये पांचों एक ही अर्थ के वाचक हैं। चौलुक्यों ने पहले अयोध्या में, बाद दक्षिण में और पीछे गुजरात में राज्य किया । प्रथम जयसिंह (ई० स० ५०७) के करीब से सोलकियों का शृङ्खलाबद्ध इतिहास मिलता है जो दक्षिण का राजा था । ऐसा श्रीमान् ओझा जी का मत है ।
२. इसका राज्यकाल वि० स० ११२० से ११५० तक है । यह भीमदेव का पुत्र था । 'महाकवि वागभट इसका प्रिय मित्र था । इसने 'वाग्भटालङ्कार' में सिद्धराज की कई जगह स्तुति की है। इस राजा का सम्पूर्ण इतिहास आचार्य श्री हेमचन्द्र ने संस्कृत द्वयाश्रय काव्य में लिखा है। प्रबन्धचिन्तामणि में इसका प्रबन्ध स्वतन्त्र है।
For Private and Personal Use Only