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मंडपदुर्ग और अमात्य पंथड
पुरातत्त्वज्ञों का इस ओर काफी ध्यान नहीं गया है । और न इसकी शोधखोल खास तौर पर हुई है । गत वर्ष में हम जब धार गये थे, तब इतिहास के अत्यन्त प्रेमी श्रीमान् काशोनाश कृष्ण लेले माहव B. A. के यहाँ, धार माहारोजा के प्राइवेट सेक्रेटरी श्रीमान् बापट साहब M. A. LL, B. से, धार और मांडवगढ में खोदकाम करने का अनुरोध किया था। मैं आशा करता हूँ कि इसकी तरफ अब पुरातत्त्वज्ञों का ध्यान जरूर जायगा । धार के प्राचीन स्थानों के विषय में मैंने एक गुजराती लेख लिखा जो शारदा मासिक में छपा था ।
अमात्य पेथडकुमार भारतभूमि में जो ऐतिहासिक पुरुष हुए हैं उनमें मांडवगढ का अमात्य (मंत्री) पेथड भी एक है । व्यापार, साहस और राज्यनीति इन तीनों क्षेत्रों में इसने अपना जीवन बिताया है। विद्वानों को इसका परिचय बहुत
पेथड के पिता निमाड़ प्रान्त में नान्दूरी के रहने वाले थे । वह जाति से ओसवाल और धर्म से जैन थे । उनका नाम था देदाशाह और उनकी पत्नी का नाम विमलादेवी था। उन्हें नागार्जुन महात्मा से सुवर्ण बनाने की विधि प्राप्त हुई थी। इससे वह कुबेर-समान बहुत बडा धनी हो गया था । दानी उदार और धर्मशील था । उनको एक सुलक्षणोपेत पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। उसका
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