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झांसी का इतिहास
नहीं देखना, पेसी आज्ञा है । किले में वहां पर अङ्गरेज सिपाही उद्दण्डता से शस्त्र शिक्षा सीखने की प्रेक्टिस करते हैं ।
राजमहल (रानी महल )
महारानी लक्ष्मीबाई का यह महल शहर में है । संभव है जब झांसी खालसा ( जब्त ) करके अङ्गरेजों ने किला और झांसी प्रांत छीन लिया तब रानी साहवा इसी में रहती होंगी। लोग कहते हैं कि इस महल की सात मन्जिलें थीं और यहां से सुरंग के द्वारा रानी साहबा किले में जाया करती थीं । परन्तु अब तो उनमें से चार मंजिल तोड दी हैं और सुरंग बन्द करदी है जो अभी वहाँ के कुए के चिन्ह रूप से दिखाई पडती है ।
इस समय तीन मंजिल है । पहले और दूसरे मंजिल में म्यूनोसी पैल्टीस्कूल (हिंदी उर्दु और मराठी का) है । करीब २५० छात्र पढते हैं, मकान बहुत मजबूत बना हुआ है । पहिले मंजिल में एक टूटा हुआ पत्थर का खंभा है। लोगों का कहना है कि महारानी लक्ष्मीबाई जब महल को छोडकर झांसी से अन्यत्र गई तब उन्होंने अपनी तलवार की परीक्षा के लिए खंभे पर तलवार मारी थी, जिससे वह खंभा टूट गया । कई लोग यह भी कहते हैं कि अपने स्मारक के लिए तलवार से खंभे को तोडा | एक मत ऐसा भी है कि कोई अंगरेज अपने (लक्ष्मीबाई) को मारने सामने आ खडा है ऐसी भ्रान्ति होने से लक्ष्मी
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