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झांसी का इतिहास
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मान्यता पहिले के राजाओं में थी, इसीलिये करोडों रुपए खर्च कर हर एक राजा किला मजबूत और सुन्दर बनवाना था । चित्तौड आदि के फिले दुनिया भर में प्रसिद्ध और अजोड है। उन किलों में झांसी का भी एक किला है। यह बहुत ऊंचा और मजबूत है । दुःख की बात है कि अभी यह किला भारतीयों को देखने को भी नहीं मिलता। हमने इसको देखने के लिए कोशिश भी की थी; परन्तु मालूम हुआ कि देखने की अनुमति मिलनी अशक्यसी है। किले के प्रथम द्वार पर ही दो अङ्गरेजी सोल्जर सिपाही भरी बन्दूक लेकर रात दिन पहरा देते हैं। इस वक्त किले में बारूद गोला खूब ही भरा है । अनेक मशीनगन-तोप बन्दुक आदि शस्त्रास्त्र रखे हैं । इसका कारण यह है कि झांसी की चारों ओर देशी राज्य ( स्टेट ) हैं । उन पर प्रभाव डालने के लिए अथवा उनसे मौका आने पर रक्षित होने के लिए इतना बन्दोवस्त रखना पडता है । यहां पर पलटन भी हमेशा बहुत रहती है । पहिले छः हजार अगरेज यहां पर रहते थे, परन्तु पेशावर के लिए बहुत से भेज देने से इस वक्त बहुत थोडे हैं । सुना जाता है कि इसमें अंग्रेजों ने किले के अन्दर की रानी साहबकी प्रसिद्ध २ इमारतों का रूपान्तर करके अपने फैशन की आफिसे करदी है। खास खास स्थान तो बिलकुल छिन्न भिन्न कर दिए हैं। शिवरात्री के वस्त किले के अन्दर शिव मन्दिर के दर्शन करने लोगों को जाने देते हैं। वह भी सीधे रास्ते मन्दिर तक जाकर वापिस लौट आना, इधर उधर कहीं पर नहीं जाना और
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