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झांसी का इतिहास
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लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में ता० ११-१०-१८३५ ई० सन् में हुआ था । उन के पिता का नाम मोरेपन्त था । वे महाराष्ट्र प्रदेश के ब्रह्मावर्त के रहने वाले कराडा जाति के ब्राह्मण थे । मोरेपन्त जी की पत्नी का नाम भागीरथी था । लक्ष्मी बाई का मूल नाम मनुबाई रक्खा । झांसी संस्थान के राजा श्रीमन्त महाराज गंगाधर राव के साथ मनुबाई का सन् १८४२ ई० में विवाह संबध हुआ । इस वक्त बाई साहब का नाम लक्ष्मीबाई पडा । २१-४-१८५३ ई० में गंगाधर राव स्वर्गवास होने के बाद उनके दत्तक पुत्र को राज्याधिकारी न बनाकर ब्रिटिश सरकार ने झांसी प्रान्त खालसा करके अपने आधीन किया । सन् १८५७ ईस्वी में ब्रिटिश के सामने प्राय सारे भारत में अगरेजों के प्रति घृणा उत्पन्न होने से जोरों से गदर चला, तब अगरेजों को झांसी से भी प्राण बचाने के लिए भागना पडा । उसके बाद रानी साहबा ने झांसी प्रांत की चारुतया व्यवस्था और रक्षा की । अंग्रेज सरकार ने सरहारोज के आधिपत्य में बहुत बडी सेना झांसी वगैरः प्रदेश जीतने भेजी । ता० २०.३-१८५८ ई० को सरयूरोज ने झाँसी में आकर ता० २ अप्रैल तक १२ दिन भयंकर युद्ध किया । इस प्रलंग पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने वीरता से युद्ध किया । अङ्गरेजों ने उस वक्त बहुत सख्ती करके निर्दयता से ५००० भारतीय नष्ट किए और झांसी स्वाधीन कर काल्पी और ग्वालियर में युद्ध किया। उस समय ग्वालियर में वीरता पूर्वक हजारों ब्रिटिश वोरों के साथ युद्ध
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