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झांसी का इतिहास
घर में पुरुष नहीं रहा है । झूठा गर्व दुराचार और अधर्म से ही ओसवाल जाति की आज बहुत जगह यही दशा देखने सुनने में आती है, तो भी अभी यह जाति चेतकर अपने दोषों को दूर नहीं करती है । एक श्वेताम्बर मन्दिर
और उस मन्दिर के ताल्लुक में एक या दो मुकाम हैं, तथापि मन्दिर की संभाल बहुत असन्तोष कारक है। जिनमूर्तियों की अविधिज्ञ और अज्ञ ब्राह्मण पूजारी प्रक्षालन पूजा आधे घंटे में शीघ्रता से कर मन्दिर बन्द कर सेठ मिलापचन्द जी की दुकान पर चला जाता है, क्योंकि दुकान वाले उन से सारे दिन दुकान का काम करवाते हैं और न मालूम इसको वेतन किसमें से देते होंगे ? उस दुकानदार जैन को चाहिए कि अगर दर्शन और पूजन करने की और मन्दिर की व्यवस्था करने की भावना या भक्ति न हो तो मूर्तियों को सुरक्षित शहरों में पहुंचा दें। दिगम्बरों के ५० घर और चार मन्दिर हैं । गंज में पंचायती बडा मन्दिर अच्छा है । हाल की बनी हुई धार्मिक प्राचीन तसवीरें और धातु का सहस कोटि बहुत अच्छा है जिसमें छोटी छोटी १००८ जिन मूर्तियाँ हैं और चारों तरफ बीच २ में एक एक बड़ी मूर्ति हैं । इस मन्दिर में हस्तलिखित प्राचीन ग्रन्थ भी है, परन्तु हमको दर्शन तक नहीं हुए। खंडेलवालों के मन्दिर में, जिसमें हम गये थे, प्रवेश करते ही एक फूल बेचने वाली द्वार पर बैठी हुई मालिन ने हमसे कहा कि तुम खंडेलवाल हो तो मन्दिर
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