________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२४६
आचार्य हेमचन्द्रसूरि और उनका साहित्य
प्रचलित थी, उसका भी राजा से बन्द करवाई और सारे राज्य में चौदह वर्ष तक अहिंसा धर्म की खूब प्रतिष्ठा रही' ।
. हेमचन्द्र और मन्त्रादि विद्या
आचार्य होने के पहले ही हेमचन्द्र ने सभी विद्यामन्त्र-तन्त्र-इन्द्रजाल और योग की सामग्री एकत्रित करके रक्खी थी। जहाँ जिसकी जरूरत पडी, वहाँ उसका उपयोग किया । व्याकरण काव्यादि से कई वादी कवियों के मुखबन्ध किये । इन्द्रजाल से देवबोध को विस्मित किया । कुमारपाल के सात पूर्व भूपालों को जैनतीर्थकर की पूजा करते हुए दिखाए । योगमन्त्रविद्या से सोमनाथ महादेव का साक्षात्कार करवाया। राजा के कुलदेवता के द्वारा पशुबलि बन्द करवाई और कुमारपाल के शत्रु को बुलवाया। वैद्यक विद्या से कुमारपाल का कोढरोग मिटाया । सङ्कल्प बल से . अंबड (ओम्रभट) मन्त्री आदि कईओं के असाध्य रोग दूर किए । इस तरह से लोकोपकार और धर्म प्रचार के वास्ते अपना सारा जीवन दे दिया ।
१. देखो कुमारपालः प्रबन्ध, प्रबन्धचिन्तामणि और. मोह पराजयनाटक
२. देखो प्रभानकचरित्र और कुमारपाल चरित्र आदि ।
For Private and Personal Use Only