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आचार्य हेमचन्द्रसूरि और उनका साहित्य
तीन करोड श्लोक परिमित साहित्य बनाया है' यह बात कदाच प्रघोष रूप में मानी जाय. परन्तु इनका करीब दो लाख श्लोक परिमित साहित्य तो आज भी उपलब्ध है । यह प्रमाण और उसकी गंभीरता भी बडे २ पण्डितों को चक्कर में डालती है। विद्वान् कहते हैं कि इकल्ले हेमचन्द्र ने पंचाँगपूर्ण सिद्धहेमचन्द्र व्याकरण रचकर पाणिनि, कात्यायन और पतञ्जलि का कार्य किया है । इसी तरह इन्होंने चार कोषों की रचनाकर काव्यानुशासन छन्दोनुशासन, वादानुशासन ( प्रमाणमीमांसा) और योगानुशासन रचकर पांच अनुशासनों का आश्चर्यकारी प्रौढ कर्तृत्व प्राप्त कर लिया है ।
आचार्य हेमचन्द्र वाङ्मय के एक गम्भीर समुद्र थे। इन्होंने कितना साहित्य बनाया है, इसकी इयता का अभी तक पाश्चात्य और पौर्वात्य पंडितों को पूरा पता लगा
१. हेमचन्द्र के कोषों का प्राचीन काल से उपयोग और प्रचार सर्वत्र प्रचुर रूप से हुआ । कालिदासादि काव्यों की टीकाओं में 'इति हेमः' या 'इति हेमचन्द्रः' से कई वार उल्लेख आते हैं।
२. शब्दप्रमाणसाहित्यच्छन्दो लक्ष्मविधमिनाम् ।
श्रीहेमचन्द्रपादानां प्रसादाय नमो नमः ॥ नाट्यदर्पणविवृति
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