________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२५२
आचार्य हेमचन्द्ररि और उनका साहित्य
.
नहीं है' । छोटी उम्र में ही इन्होंने महाज्ञान शक्ति प्राप्त करली थी । पाश्चात्य विद्वान् डा० हर्मन याकोबी ने इनको समग्रशास्त्रों के पारगामी कहा है। पिटर्सन साहब ने संस्कृत लेखकों में सर्व से अधिक प्रभाविक उच्च लेखक 'हेमचन्द्र' को माना है। महात्मा गाँधी जी के सह योगी श्रीयुत वाल जी गोविन्द जी ने हिन्दी नवजीवन ( वर्ष ७ अंक ११ ) में लिखा है कि 'विद्या का ऐसा शायद ही कोई विभाग होगा जिसके विषय में इन्होंने ( हेमचन्द्राचार्य ने) ग्रन्थ रचना न की हो ।
हेमयुग के प्रवर्तक
इनकी विद्या या कला केवल मनोविनोदके लिए ही
१. श्रीयुत कन्हैयालाल मुन्शी लिखते हैं:-"ज्यारे बीजा साधुओ अभ्यास शुरू करे, त्यारे ए शास्त्रविशारदनी भूमिकाए पहोंच्या ।" श्रीजान पण्डित शिवदत जी शर्मा नागरीप्रचारिणी पत्रिका ( वर्ष ७वां संख्या १) में लिखते हैं:-"आचार्य हेमचन्द्र की विद्या बहुत हो गंभीर थी। वे वैयाकरण, कवि, योगो, पुराग और इतिहाय प्रणेता, दार्शनिक तथा कोषकार थे। हमने कहीं पढ़ा था, किं इनकी लेखनशाला में ७०० लेखक ( कापो करनेवाले ) काम किया करते थे । कई लेखकों ने इन्हें कलिकालसज्ञ कहा है । यह विशेषण अवश्य इनको उपयुक्त ही है ।
२. देखो 'जनयुग' मासिक पुस्तक ४ अङ्क ३-४
For Private and Personal Use Only