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झांसी का इतिहास
प्रपितामह रामचन्द्र इस मन्दिर में सन् १८५८ ई० को अगरेजों की तोप से मारे गए थे ऐसा पूजारी ने हमसे कहा है । इस पूजारी का नाम श्री रामचन्द्र है जो दक्षिणात्य ब्राह्मण है । मन्दिर के नीचे तल घर है । मन्दिर में राधिका-रुकमणि और मुरलीधर (कृष्ण ) की पाषाण की मूर्तियाँ हैं जो गदर के बाद ग्वालियर स्टेट की तरफ से बैठाई हुई है।
__ अन्य बातें झांसी की मनुष्य गणना करीव ८०००० है व सदर में करीब ६००० मनुष्य हैं। झाँसी प्रांत ( जिले ) में सब मिल कर ६०६४९८ मनुष्य हैं, जिनमें ५६८१३५ हिन्दू हैं । झांसी में मुस्लमीनों का बहुत जोर है । बलात्कार से भी गुप्तरीत्या हिन्दुओं को मुस्लमान बनाने का कार्य खूब चलता है। आर्यसमाजी और क्रिश्चियनों का भी प्रचार बढ़ता जाता है । यहां पर राष्ट्र जागृति खूब अच्छी है ! कांग्रेस हाउस भी है । श्रीमान् धुलेकर जी एम० ए० विश्वम्भरदास जी जैन और छेदीलाल जी आदि सज्जन राष्ट्र के लिये सत्याग्रह आन्दोलन में कारागार गये थे, जो संधि होने पर छूट कर आ गये हैं । खादी का प्रचार भी अच्छा है । ३०० पटवी लोगों के घर हैं जो सूत और रेशम का सुन्दर कपडा बनाकर बेचते है। शहर में सफाई और सुन्दरता की बहुत न्यूनता है । छावनी में यह बात नहीं है। शहरमें पहले ओसवाल श्वे. जैनों के ४० घर थे, अब तो तीन ही रह गये हैं। उसमें भी किसी
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