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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४८ झांसी का इतिहास प्रपितामह रामचन्द्र इस मन्दिर में सन् १८५८ ई० को अगरेजों की तोप से मारे गए थे ऐसा पूजारी ने हमसे कहा है । इस पूजारी का नाम श्री रामचन्द्र है जो दक्षिणात्य ब्राह्मण है । मन्दिर के नीचे तल घर है । मन्दिर में राधिका-रुकमणि और मुरलीधर (कृष्ण ) की पाषाण की मूर्तियाँ हैं जो गदर के बाद ग्वालियर स्टेट की तरफ से बैठाई हुई है। __ अन्य बातें झांसी की मनुष्य गणना करीव ८०००० है व सदर में करीब ६००० मनुष्य हैं। झाँसी प्रांत ( जिले ) में सब मिल कर ६०६४९८ मनुष्य हैं, जिनमें ५६८१३५ हिन्दू हैं । झांसी में मुस्लमीनों का बहुत जोर है । बलात्कार से भी गुप्तरीत्या हिन्दुओं को मुस्लमान बनाने का कार्य खूब चलता है। आर्यसमाजी और क्रिश्चियनों का भी प्रचार बढ़ता जाता है । यहां पर राष्ट्र जागृति खूब अच्छी है ! कांग्रेस हाउस भी है । श्रीमान् धुलेकर जी एम० ए० विश्वम्भरदास जी जैन और छेदीलाल जी आदि सज्जन राष्ट्र के लिये सत्याग्रह आन्दोलन में कारागार गये थे, जो संधि होने पर छूट कर आ गये हैं । खादी का प्रचार भी अच्छा है । ३०० पटवी लोगों के घर हैं जो सूत और रेशम का सुन्दर कपडा बनाकर बेचते है। शहर में सफाई और सुन्दरता की बहुत न्यूनता है । छावनी में यह बात नहीं है। शहरमें पहले ओसवाल श्वे. जैनों के ४० घर थे, अब तो तीन ही रह गये हैं। उसमें भी किसी For Private and Personal Use Only
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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