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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir झांसी का इतिहास बाई ने उसको यमगृह में पहुचाने के लिए तलवार मारी । वह खम्भे पर लगो, इसलिए खम्भा टूट गया। तीनों प्रकार की इन किंवदन्तियों में कुछ भी तथ्य हो, परन्तु इससे यह स्पष्ट है कि लक्ष्मीबाई की तलवार अति मजबूत व तेज थी । ૬૪૭ महल के नीचे गवन्मैन्टी कोतवाली है और एक कुआं भी है। पहली मंजिल के कुछ कमरों में दीवारों पर रंग के चित्रों का भी काम है। उसके सिवाय वर्तमान भाग में कोई खास कारीगरी नहीं दीख पडती है । इस रानी महल में सन् १९२७ई में मेरा भाषण हुआ था। झांसी मैं जी० आई० पी रेलवे वर्क शाप देखने योग्य है । यहाँ रेलवे एन्जिन और डब्बे आदि की सभी मशीने बनती हैं जहाँ पर रोज करीब २५०० मनुष्य काम करते हैं । इसको देखने के लिए पास लेना पडता है । लक्ष्मी मन्दिर | For Private and Personal Use Only इसको अपर नाम मुरलीधर मन्दिर भी है । यह बडे बाजार में है। वहाँ के वर्तमान के एक पूजारी ने हमसे कहा है कि महारानी लक्ष्मीबाई साहबा प्रत्येक शुक्रबार को यहाँ लक्ष्मी जी के दर्शन करने आया करती थी । उनके पिता ( मोरेपन्त ) इस मन्दिर के ऊपर की मंजिल में रहते थे । इसलिये शुक्रवार की रात को भी बाई साहब पिता के पास रहती थीं और शनिवार को महल या किले में चली जाती थी । वर्तमान पूजारी रामचन्द्र राव के
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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