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आचार्य हेमचन्द्रसूरि और उनका साहित्य
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कुछ ही दिनों में हेमचन्द्राचार्य पाटण में प्रवेश करते हुए दिखाई दिए । पाटण में जैनों की वस्ती बहुत थी और राज्यसत्ता, व्यापार, विद्या, कला आदि में जैनों की ही बोलबाला थी।
सिद्धराज जयसिंह की मुलाकात
पाटण में आचार्य हेमचन्द्र के प्रभावशाली व्याख्यान होने लगे । व्याख्यानों में अनेक महत्त्वपूर्ण विषय के प्रश्नों का गंभीर प्रतिपादन होता था। कुछ ही दिनों में पाटण के अच्छे २ विद्वान् , विचारक एवं अधिकारी भी व्याख्यान श्रवण करने आने लगे। सारे पाटण में हेमचन्द्राचार्य के व्याख्यानशक्ति की चर्चा-तारीफ होने लगी। फैलते २ वह ज्योत्स्ना की तरह राजमहल में सिद्वराज के कर्णी तक पहुँच गई ।
सिद्धराज, ऐसे विद्वान आचार्य को मिलना चाहता था । वह प्रसंग ढूँढता था । एक दिन राजा हाथी पर बैठकर कहीं जा रहा था। रास्ते में उसने आचार्य हेम. चन्द्र को जाते देखा । राजा ने हाथी खडा रक्खा । आचार्य को नमस्कार किया। उस समय आशुकवि हेम
1 हेमचन्द्र और सिद्धराज की पहली मुलाकात किस तरह कहां और कब हुई, इस विषय में जुदे २ मत हैं । हमने यहां प्रभावकचरित्र का मत लिखा है, जिसको कि बहुत विद्वान् ठीक मानते हैं ।
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