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पाठ्यक्रम की समालोचना और मत
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बनारस में निर्णीत भा० दि० जैन पाठ्यक्रम को समालोचना और मत*
पाठ्यक्रम के साथ जैन समाज का कैसा सम्बन्ध है और कैसा होना चाहिये, यह मैं पहले जनमित्र के ता० ४-८-३२ अङ्क ३८ में लिख चुका हूं। अभी कुछ दिन पहले बनारस में समाज के विशिष्ट दिगम्बर विद्वानों ने सम्मिलित होकर नया पाठ्यक्रम निर्धारित किया है जिसकी नकल जैनमित्र के ता० १४-७-३२ अंक ३५ में छपी है । उसको देखकर मुझे भी कुछ इस विषय में लिखने का विचार होता है । किसी महाशय के मन में यह संकोच किंवा आश्चर्य न होना चाहिए कि 'ये श्वेताम्बर जैनमुनि दिगम्बर जैन सम्प्रदाय को अपनी सलाह क्यों देते हैं ? इनको क्या गर्ज पडी है ?" मैं तो अपने को सारी जैन समाज और धर्म को सेवक समझता हूं। हर किसी को हित सलाह देना मनुष्य का कर्त्तव्य होना चाहिये, इसी लिए कोई माने या न माने, अपने को दूसरे के हित के लिए प्रवृत्ति करते रहना चाहिये ।
वीर, बीजनोर, वीर सं. २४५८, अङ्क २३-२४ । इस लेख का नाम - " जैन समाज और पाठ्यक्रम का
सम्बन्ध" है । जैनमित्र पृ ५०५ ।
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