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पाठ्यकम की समालोचना और मत
मेरी सूचनाएं १-पाठ्यक्रम में 'बालबोध' कक्षा से ही इंगलिश' की पुस्तके नियत कर लेनी चाहिये । विशारद परीक्षा में कुछ इङ्गलिश की पुस्तके वाचन के लिए ऐसी रखनी चाहिये जो जैन धर्म और जैन इतिहास से सम्बन्ध रखती हों और जैन विद्वानों द्वारा लिखी गई हो ।
२- 'बालबोध' कक्षा से 'विशारद' कक्षा के अन्तिम वर्ष तक राष्ट्र भाषा की शुद्धि के लिए क्रमशः कोई न कोई हिन्दी ग्रन्थ प्रत्येक वर्ष में अवश्य रखना चाहिये, जो निष्पक्षपाती को लिखा हुआ हो।
३-जैनदर्शनशास्त्र में दिगम्बर और श्वेताम्बरों में बहुत कुछ साम्य है । स्त्रीमुक्ति और केवलिमुक्ति जैसे कुछ ही विषयों में थोडा थोडा मत भेद है । दिगम्बरों की तरह श्वेताम्बरों में भी दर्शन तर्कशास्त्र के रत्नाकरावतारिका स्याद्वादरत्नाकर, अनेकान्त जयपताका, सम्मतितर्क, खण्डनखाद्य, न्यायालोक, शास्त्रबार्तासमुच्चय, प्रमाणमीमांसा जैसे बहुत प्रौढ ग्रन्थ हैं जिनको पढने से स्याद्वाद की रक्षा करने की और दूसरे वादी को परास्त करने की ताकत
१. प्रायः यह देखा जाता है कि अपने विद्यालयो में इंगलिश का पाठ्यक्रम बहुत ही उपेक्षा व शिथिलता से पूरा करवाया जाता है इसलिए इङ्गलिश के विषय में छात्र बहुत ही कमजोर रहते हैं, परन्तु यह होना ठीक नहीं है।
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