________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
महाकवि वाग्भट के जैन ग्रन्थ की व्याख्या में गडबड १६३
-: ३३ :महाकवि वाग्भट के जैन ग्रन्थ की
व्याख्या में गड़बड़
(समालोचना)
वागभटालंकार व्याख्या सहित, मूल लेखक जैन महाकवि वाग्भट, व्याख्याकार श्रीयुत पं० इश्वरीदत्त शास्त्री, प्रो० दयालसिंह कालेज, प्रकाशक लाला मोतीलाल बनारमी दास लाहौर । वाग्भटालंकार अलंकार विषय का एक ऐसा ग्रन्थ है कि काव्य के साधारण विद्यार्थी से लेकर प्रौढ पण्डित तक के लिये एकसा उपयोगी है। शब्दालंकार तथा अर्थालंकार का यह स्वतन्त्र ग्रन्थ होने से अलंकार विषयक जितना वक्तव्य था उतना कवि ने इस ग्रन्थ में पथ बंध लिख डाला है । इसी कारण यह ग्रन्थ पटना-विहार गवर्नमेंन्ट संस्कृत परीक्षा और सन् १८-१४-१५ में लाहौर की परीक्षा के पाठयक्रम (course) में रक्खा गया है । वाग्भट बारहवीं शताब्दी के गुजरात के सम्राट् सिद्धराज जयसिंह के प्रधान जैन मंत्री थे । हम आगे बहुत प्रमाणों से इनका परम जैन होना सिद्ध करेंगे। इनके बागभटालङ्कार पर
* वीर, बिजनोर वर्ष ६, अङ्क १६ ।
For Private and Personal Use Only