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अर्द्ध मागधी और प्राकृत
इसमें शक नहीं कि, अर्द्धमागधी बहुत ही महत्वपूर्ण भाषा है। इसके थोडे शब्दोंमें ही बहुत भाव आ सकते हैं । इसीलिए महामुनि भरत ने कतिपय नाटकीय पात्रों को इसी भाषा में बोलने का आदेश दिया है। सुकुमार स्थलों में और खासकर स्त्री पात्रों के मुहसे जब यह भाषा बोली जाती है, तब इसका सौष्टव, माधुर्य और लालित्य बरबस मन को मोह लेता है ।
___ इस भाषा में २५०० वष का पुराना तत्त्वज्ञान, धर्म और समाज विषयक इतिहास तथा अनेक ज्ञातव्य बातें मौजूद हैं । यदि इस भाषा के अध्ययन में लोग अधिकाधिक रुचि धारण करेंगे, तो निश्चय ही हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी के ऊपर भी नया प्रकाश डाला जा सकेगा।
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