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भगवान् महावीर
निर्वाण के पूर्व भगवान् महावीर ने लगातार सोलह प्रहरों तक तात्त्विक उपदेश दिया था। जिसे लिच्छवि और कोशलके १८ गणमेलक (संधिकारक) राजाओंने भी सुना था ।
भगवान् महावीर के निर्वाणान्तर सच्चा दीप बुझ गया । वहां के राजा महाराजाओंको बहुत खेद हुआ । उन्होंने घरमें दीप जलाकर अपने मनको समझाया । दीपावली का पर्व तभी से हुआ । महावीर निर्वाण के २५० वर्ष पूर्व भगवान पार्श्वनाथका निर्वाण हुआ था !
भगवान महावीर और महात्मा बुद्ध समकालीन ज्योतिर्धर थे। ऐसे दीर्घ तपस्वी, आप्त पुरुष जिस देशमें उत्पन्न हुये हों, वह देश धन्य है।
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