________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
महाराजा कुमारपाल चौलुक्य
तथा कुमारपाल के सम्बन्धियों को घोर याचनायें दीं। कपर्दी मन्त्री को तेल के कहाड में भूनकर मरवा डाला । रामचन्द्रसूरि को तप्त शिला पर बैठा कर मरवाया । कई 'कुमार विहार मन्दिर' तुडवाये । दीप के नीचे अँधेरे की तरह यह अजयपाल अयोग्य निकला । इस कुनृपति का राज्य तीन ही वर्ष टिका । इसी के एक प्रतिहारी ने इसे छुरी से मार डाला । अत्युग्र पाप का फल शीघ्र मिलता है ।
उपसंहार कुमारपाल सौलकियों का अन्तिम प्रतापी राजा हुआ। उस ने अपने प्रताप से गुजरात को और सोलकियों की कीर्ति खूब बढाई । अपने पूर्व के सभी सोलकियों से राज्य सत्ता भी खूब फैलाई थी । किन्तु इसके बाद के तीन राजाओं के कमजोर और अयोग्य होने से गुजरात का राज्य गया । कुमारपाल जैनधर्मी था, बाकी सभी वैदिक मत के थे। हमें दुःख है कि कुमारपाल या सोलवियों के विषय में देशी भाषा में कोई सम्पूर्ण आप्त ग्रन्थ या लेख किसी ने नहीं लिखा है। गुजरातियों के लिए तो यह शर्म की बात है।
सङ्कोच से लिखने पर भी, विषय व्यापक होने के कारण, लेख बहुत बढ़ गया है; एतदर्थ पाठक क्षमा करें ।
ओज्ञावतिषु मण्डलेषु, विपुलेश्वष्टादशस्वादरात् __अब्दान्येव चतुर्दशप्रसृमरां भारिं निवाजिसा । कीर्तिस्तम्भनिभाश्चतुर्दशशतीसंख्यान विहारांस्तथा ।
कृत्वा, निर्मितवान् कुमारनृपतिजैनो निजैनोव्ययम् ।
For Private and Personal Use Only