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हे नचन्द्राचार्य की दीक्षा कब और कहां हुई
इनका जन्म वि० सं० ११४५ कार्तिक शुक्ला १५ को हुआ था । इनका नाम चांगदेव रक्खा गया था ! इन्होंने छोटी उम्र में ही देवचन्द्र सूरि के पास जैनसाधु की दीक्षा ग्रहण की थी । वह दोक्षा किस वर्ष में और किस स्थान में हुई, इस विषय में विचार करना प्रस्तुत लेखका उद्देश्य है ।
सोमचन्द्र' की दीक्षा के स्थान और वर्ष के विषय में भिन्न २ ग्रन्थों में भिन्न २ उल्लेख मिलते हैं, इसका विचार यहां करते है :
१ प्रभावकचरित्रान्तर्गत हेमचन्द्रमूरि के चरित्र में स्तम्भनतीर्थ (खंभात) में वि० सं०२ ११५० माघ शुक्ला १४ शनिवार को दीक्षा देना लिखा है।
२ प्रबन्धचिन्तामणि में करीब आठ वर्ष की उम्र में 'चंगदेव' देवचन्द्र सूरि से मिला लिखा है और वहां से कर्णावती जाकर दोक्षा देने को लिखा है ।
३ कुमारपाल-प्रबन्ध में पाँच वर्ष की उम्र में देवचन्द्र मूरि ने चंगदेव को देखा और वि० स० १९५४ में कर्णावती' में दीक्षा देने का लिखा है ।
१ प्रबन्धकोष' में राजशेखरसूरि ने 'सोमदेव' लिखा है । २ शरवेदश्वरे वर्षे कात्तिके पूर्णिमानिशि ।।
जन्माभवत् प्रभोव्योमबाणशम्भो व्रतं तथा ॥८४८॥" 3 "स: अष्टवर्षदेश्यः x x x"
४ कर्णावती के विषय में देखो “आचार्य हेमचन्द्र सूरि और उनका साहित्य' का नोट !
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