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हेमचन्द्राचार्य की दीक्षा कब और कहां हुई
__ अब रही स्थान की बात:
दो ग्रन्थ के सिवा सभी ग्रन्थों में स्तम्भनतीर्थ (खंभात) में हेमचद्र की दीक्षा होना लिखा है। और यही ठीक है। अगर 'कर्णावती' में दीक्षा मानो जाय तो घटित-संगत नहीं होती है । "कर्णावती” को कर्ण ने बसाई थी और वहां वह सम्पूर्ण अधिकार स्वातन्य से रहता था । जब कि "उदयन" सिद्वराज जयसिंह का मन्त्री था और वह सिद्धराज के वि० सं० ११५० में राज्यरूढ होने के कुछ वर्षों के बाद खभात का मंत्री हुआ था । पहले वह कर्णावती में गया जरूर था, परन्तु बडा अधिकारी (सरसूबा) तो खंभात में ही हुआ होगा। 'उदयन मन्त्री ने हेमचन्द्र की दीक्षा में मुख्य भाग लिया था।
दूसरी बात यह भी है कुमारपाल ने हेमचन्द्र को दीक्षा की स्मृति में खंभात' में ही मंदिर बनवाया ऐसा उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है तो इसमें भी साफ
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१ पूर्वक ल में भारतवर्ष में बडे बडे राज्याधिकारी, कौंसिलर, सूवा सरसूबा आदि ‘मन्त्री' या 'अमात्य शब्द से पहिचाने जाते थे । और मुख्य दीवान 'महामन्त्री' या 'महामात्य' शब्द से पुकारे जाते थे ।
२. देखो प्रभावक-चरित्र और प्रबन्ध-चिन्तामणि । . ३. स्तम्भतीर्थे हेमाचार्यदीक्षास्थाने श्रीआलिगारख्या वसतिः श्रीगुरुस्नेहेन रात्न (?) श्रीवीरविम्बरसोव गुरुपादुकाविराजिताऽकारि ।
-कुमारपाल-प्रबन्ध (जिनभंडन-कृत)
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