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महाकवि शोभन और उनका काव्य
को वरने को आती है । ऐसे वास्तविक कवि ही संसार को प्रति समय नव नूतन आनन्द दे सकते हैं। कवि संसार के किसी भी पदार्थ का सूक्ष्म निरीक्षण करके उस पदार्थ को अपनी कल्पना-शक्ति से वर्णित कर अत्यन्त ही सुन्दर बनाता है और इसी कल्पना से वह उसमें एक नवीन आनन्द उत्पन्न करता है, निर्जीव को सजीव बना देता है और आनन्द का स्रोत बहा देता है ।' कन्नि की यही अनुपम विशेषता है । 'जहां न जाय रवि तहां जाय कवि' इस लोकोक्ति की सार्थकता भी ऐसे कवियों के लिए ही है।
जिस प्रकार एक गजा अथवा धनाढ्य पुरुष किसी एक देश या एक समय के लिए ही नहीं होता, उसी प्रकार कवि भी देश और समय की सीमा से मुक्त होता है । वास्तविक कवि तो संपूर्ण संसार तथा सर्व समय के लिए ही अवतरित होते हैं। वे अपने यशःशरीर से सर्वत्र और सदा जीते जागते रहकर अपनी रुचिर कृति का लाभ संसार को सतत देते रहते हैं । कवि इस लोक में भी अपनी अनुपम प्रतिभा से साक्षात् स्वर्ग का अनुभव कर, दूसरों को भी उमका साक्षात् कार कराने में समर्थ होता है। ऐसा कवि ही सच्चा तथा वास्तविक कवि कहा जा सकता है। नहीं तो 'कवयः कपयः स्मृताः' अर्थात् 'कवि गण बन्दर हैं' की बात घटित होती है ।
जो जन्मसिद्ध श्रेष्ठ कवि इस भारत माता की गोद में अवतरित हुए हैं, उनमें बहुत से जैन भी हैं। प्रत्येक
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