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महाकवि शोभन और उनका काव्य
करके 'सिद्ध हेमचन्द्र शब्दानुशासन' व्याकरण की मेरी लिखी हुई प्रस्तावना) विद्वानों के पोषक और अनुमोदक थे । यही एक कारण था कि सर्वदेव पण्डित इसी नगरी में रहते थे । इस नगरी में रहने के कारण सर्वदेव के दोनों पुत्रों को भी ज्ञानोपार्जन का बहुत साधन प्राप्त हुआ था। धनपाल और शोभन को अपने परम्परा से प्राप्त विद्या तो मिली, परन्तु इसके उपरान्त धारा नगरी में आये हुए अनेक विद्वानों के समागम से इनकी विद्या बहुत ही सुन्नत हुई । धीरे-धीरे इन दोनों भाइयों की प्रतिभा सम्पूर्ण धारा नगरी में आये हुए अनेक विद्वानों के समागम से इनकी विद्या बहुत ही उन्नत हुई । धीरे धीरे इन दोनों भाइयों की प्रतिभा सम्पूर्ण धारा-नगरी
१ अन्यदावन्तिकोत्रीयपुस्तकेषु नियुक्त कैः दश्यमानेषु भूपेन प्रेक्षि लक्षणपुस्तकम् ॥७४॥ किमेतदिति पप्रच्छ स्याम्यपीति व्यजिज्ञपत् । भोजव्याकरणं ह्यतेच्छन्दशास्त्र प्रवर्तते ॥ ७५ ॥ असौ हि मालवाधीशो विद्वच्चकशिरोमणिः । शब्दालंकार दैवज्ञतर्कशास्त्राणि निर्ममे ॥ ७६ ॥
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बनवाया । ' ( इस
राजा 'भोज' सच्चे
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- प्रभावक चरित्र में हेमचन्द्रसूरि चरित्र
श्रीहेमसूयोऽप्यत्रालोक्य व्याकरणजम् । शास्त्र चकून श्रीमत्सिद्ध हेमाख्यमद्भुतम् ॥९६॥