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महाराजा कुमारपाल चौलुक्य
का भाई (भीम का पुत्र) था, उसका पुत्र त्रिभुवनपाल,
और उसका पुत्र कुमारपाल राजा के उत्तम लक्षणों से युक्त था । कुमारपालप्रतिबोध के कर्ता भीम का पुत्र क्षेमराज, उसका पुत्र देव प्रसाद और देवप्रसाद के पुत्र त्रिभुवनपाल का पुत्र कुमारपा बतलाते हैं । कुमारपाल चौलुक्यवंशी प्रथम भीम के कुल का और त्रिभुवनपाल का पुत्र था । इस में तो किसी का मत भेद नहीं है ।
कुमारपाल छत्तीस प्रकार की शस्त्रकला में प्रवीण, बहादुर, कृतज्ञ और उद्यमी था ।
कुमारपाल का भविष्य सिद्धराज ने जब सुना कि मेरे सन्तान न होगी
१. एक राज वंशावली में जानेयः सिद्धराजस्य अर्थात् कुमारपाल सिद्धराज का भागेज था, लिखा है, परन्तु यह बात सत्य नहीं मालूम होती, क्योंकि सभी तत्कालीन प्राचीन ग्रन्थों में कुमारपाल को भोमवंशीय चौलुक्य बतलया है । और जाभेय लिखनेवाला ग्रन्थकार बहुत पीछे का ( अर्वाचीन) है । टॅॉड-राजस्थान के कर्ता कुमारपाल को चौहाणवंशी लिखकर सिद्भराज का उत्तराधिकारी लिखते हैं । और एक जगह पर दत्तक पुत्र लिखते हैं । यह बात किसी ग्रन्थ में देखने में नहीं आती । सभी प्राचीन लेखक कुमारपाल को चौलुक्य ही बतलाते हैं । सं० द्वयाश्रय के टीकाकार अभयतिलक लिखते हैं -सिद्धराज त्रिभुवनपाल का चचा लगता था अतः कुमारपाल का सिद्धराज पितामह हुआ ।
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