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महाराजा कुमारपाल चौलुक्य
राज्य प्राप्ति राज्याभिषेक किस का करना ? इमका निश्चय करने के लिए जब सभा हुई तब कान्हडदेव, कुमारपाल को स्नान करवा कर वस्त्रादि से अलंकृत कर के राज्य-कचहरी में ले गया । पहले दो क्षत्रिय युवक भी राजा बनने के लिए वहाँ आए थे, परन्तु उन में वीरता और प्रभाव की योग्यता न देख कर लोगों ने उन्हें पसन्द न किया । कान्हडदेव के इशारे से कुमारपाल ऊँचे आसन के ऊपर चढ़कर अच्छी तरह से दुपट्टे का आसन बिछा कर प्रतापयुक्त नेत्र करके बड़ी कुशलता से तलवार घुमाने लगा । लोगों ने पूछा, राजा होकर क्या करोगे ? उत्तर में कुमारपाल ने कहा कि पृथ्वी का शासन करूँगा । बस अब क्या था ! सब लोगों ने समझा कि यही प्रभावशाली है, अतः राज्य के योग्य है । सबने एकमत होकर समारोहपूर्वक कुमारपाल का राज्याभिषेक किया। वि० सं० ११९९ कार्तिक कृष्णा २ को उच्च ग्रहों के आने पर कुमारपाल सिद्वराज की राजगद्दी पर बिठाया गया था उस वक्त यह करीब ५० वर्ष का था ।
कृतज्ञता आज कुमारपाल की कई दिनों की आशा सफल हो गई । उस ने राज्य प्राप्त कर के जो जो उसके उपकारी थे, उन की, यथायोग्य बदला देकर कृतज्ञता, प्रकट की। उदयन को मुख्य मंत्री, वाग्भट को नायब दीवान, निभाडे
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