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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महाराजा कुमारपाल चौलुक्य राज्य प्राप्ति राज्याभिषेक किस का करना ? इमका निश्चय करने के लिए जब सभा हुई तब कान्हडदेव, कुमारपाल को स्नान करवा कर वस्त्रादि से अलंकृत कर के राज्य-कचहरी में ले गया । पहले दो क्षत्रिय युवक भी राजा बनने के लिए वहाँ आए थे, परन्तु उन में वीरता और प्रभाव की योग्यता न देख कर लोगों ने उन्हें पसन्द न किया । कान्हडदेव के इशारे से कुमारपाल ऊँचे आसन के ऊपर चढ़कर अच्छी तरह से दुपट्टे का आसन बिछा कर प्रतापयुक्त नेत्र करके बड़ी कुशलता से तलवार घुमाने लगा । लोगों ने पूछा, राजा होकर क्या करोगे ? उत्तर में कुमारपाल ने कहा कि पृथ्वी का शासन करूँगा । बस अब क्या था ! सब लोगों ने समझा कि यही प्रभावशाली है, अतः राज्य के योग्य है । सबने एकमत होकर समारोहपूर्वक कुमारपाल का राज्याभिषेक किया। वि० सं० ११९९ कार्तिक कृष्णा २ को उच्च ग्रहों के आने पर कुमारपाल सिद्वराज की राजगद्दी पर बिठाया गया था उस वक्त यह करीब ५० वर्ष का था । कृतज्ञता आज कुमारपाल की कई दिनों की आशा सफल हो गई । उस ने राज्य प्राप्त कर के जो जो उसके उपकारी थे, उन की, यथायोग्य बदला देकर कृतज्ञता, प्रकट की। उदयन को मुख्य मंत्री, वाग्भट को नायब दीवान, निभाडे For Private and Personal Use Only
SR No.020374
Book TitleHimanshuvijayjina Lekho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHimanshuvijay, Vidyavijay
PublisherVijaydharmsuri Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages597
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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