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महराजा कुमारपाल चौलुक्य
चावडावंश के भूपाल विक्रम सवत् ८२१ में चापोत्कटवशीय (चावडावंशके) क्षत्रिय वनराज ने गुजरात में जैन मन्त्रों से अणहिल्लपुर (पाटण) की स्थापना की और वहीं पर अपनी राजधानी
१. यह गुजरात और चावडावंश का प्रथम राजा है । शील. गुणसूरि जैनाचार्य ने इस में उत्तम संस्कार डाले थे ! देखो प्रबन्धचिन्तामणि फाससभा, १९३२, पृ० १९ ।
जैन युग में (पुस्तक १ अंक २ वि. सं. १९८१ आश्विन ) छपी हुई राजवंशावली में भी अणहिल्लपुर का स्थापना-काल वि० सं० ८२१ वैशाख सुदि २ सोमवार रोहिणी नक्षत्र लिखा है । मेरे पास जो एक अमुद्रित राजवंशावली है उस में वि० सं० ८०२ लिखा है -
अब्दे युग्मनभोमदालयमिते चापोत्कटो भूपति दाताऽभूद् 'वनराज' इत्यभिमतो विद्वजनै राश्रितः । षष्टयब्दप्रमित सुराज्यमखिलं भुक्तं च तेनाऽतुलं व्यक्तश्रीरणहिल्लपत्तनपुरं सन्निर्मितं भूतले ॥२६॥
श्रीमानतुङ्गसूरि ने भी विचारश्रेणि (जो प्रबन्धचिन्तामणि के पश्चान् लिखी गई है ) में वनराज की राज्य-स्थाना वि० सं० ८२: ई० ७६४ ) से लिखी है। और यही साल ठीक है, ऐसा श्रीमान् रा० ब० पं० गौरीशंकर ओझाजी का मत है । देखो राजपूताने का इतिहास भाग १
चापोत्कट, चावडा, चावरा ये एक ही अर्थ के पयाय हैं ।
श्रीमान् ओझाजी का कहना है कि चावडावंश परमारों की शाखा है। दे० टॉड रा० की टिप्पणी ।
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