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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
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वचन में अकारान्त पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' • प्रत्यय को प्राप्ति होकर कंचुओ रूप सिम हो जाता है।
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लाञ्छन म संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप लेछग होता । इसमें सूत्र संख्या १-८४ से 'ला' में स्थित 'सर' के स्थान पर 'अ' की प्राप्ति; १-२५ से हलन्त व्यञ्जन 'ज़' के स्थान पर अनुस्वार की प्राप्ति; १-२२८ से 'न' के स्थान पर 'ण' की प्राप्तिः ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त नसाला में 'मि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति और १-२३ से 'म' का अनुवार होकर लंछ गप सिद्ध हो जाता है।
षण्मुखः संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप छंधुही होता है । इसमें सूत्र-संरूपा १-२६५ से 'ष' के स्थान पर 'छ' की प्राप्ति १-२५ से हलन्त यजन 'प' के स्थान पर अनुहार को प्राप्ति; १-१८७ से 'स' के स्थान पर 'ह की प्राप्ति और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिा में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर छमुही रूप सिद्ध हो जाता है।
उत्कण्ठा संस्कृत रूप है इसका प्राकृत रूप उकठा होता है । इसमें सूत्र-संख्या २-७७ से हलन्त एजन 'त' का लोप; २-८९ से लोप हुए 'त्' के पश्चात शेष रहे हुए 'क' को द्वित्व 'क' की प्राप्ति और १-२५ से झलन्त उपमन 'ण' के स्थान पर अनुस्वार की प्राप्ति होकर उक्का रूप सिद्ध हो जाता है।
सन्ध्या संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप संसा होता है इसमें सूत्र-संस्पा १-२५ से हलन्त व्यसन 'न्' के स्थान पर अनुस्वार की प्राप्ति और २-२६ से 'म्' के स्थान पर '' को प्राप्ति होकर संझा रूप सिक हो जाता है।
विन्ध्यः संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप विझो होता है इसमें मूत्र-संख्या १-२५ से हल त व्यन्जन 'न्' के स्थान पर अनुस्वार को प्राप्ति; २-२६ से '' के स्थान पर '' की प्राप्ति और ३-२ से प्रममा विक्षि के एक वचन में अकारान्त पुल्लिग में "fe' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रस्पय की प्राप्ति होकर विज्ञाप सिद्ध हो जाता है । १.२५ ।।
वकादावन्तः ॥ १-२६॥ वादिष यथा दर्शनं प्रथमादेः स्वरस्य अन्त आगम रूपोऽनुस्वारो भवति ॥ वकं । तंसं । अंसु । मम् । पुंछ । गुंछ । मुदा । पंचू । बुधं । ककोडो । कुपलं । दसणं । विंचियो । गिंठी । मंजारो । एप्याद्यस्य ॥ वयंसो । मणंसी । मणसिणी। मणसिला । पडसुश्रा एषु द्वितीयस्य ॥ अवरिं । अणिउतयं । अइमुतयं । अनयोस्तृतीयस्य ॥ वक्र । यस { अश्रु । श्मश्रु ! पुन्छ । गुच्छ । मूईन् । पशु । युध्न | कर्कोट । कुडमल । दर्शन ।