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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
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कम्ह रा की सिद्धि सूत्र-संख्या १-१०० में की गई है ॥२६॥
यो !॥२-६१॥ न्मस्य मो भवति ॥ अधीलोपापवादः ।। जम्मो । बम्महो । मम्मणं ।।
अर्थ:-जिन संस्कृत शब्दों में संयुक्त व्यञ्जन न्म होता है; तो ऐसे संस्कृत शब्दों के प्राकृतरूपान्तर में उस संयुक्त व्यञ्जन न्म' के स्थान पर 'म' की प्राप्ति होती है। सूत्र-संख्या २-७८ में बनलाया गया है कि अधो रूप से स्थित अर्थात् वर्ण में परवर्ती रूप से संलग्न हलन्त 'न्' का लोप होता है। जैसेलग्ना लग्गी । इस उदाहरण में 'ग' वर्ण में परवर्ती रूप से संलग्न हलन्त 'न' का लोप हुआ है; जबकि इस सूत्र-संख्या २-६५ में बतलाते हैं कि यदि हलन्त 'न्' परवर्ती नहीं होकर पूर्व वर्ती होता हुआ 'म' के साथ में संलग्न हो; तो ऐसे पूर्ववर्ती हलन्त 'न्' का भी ( केवल ‘म वर्ण के साथ में होने पर ही ) लोप हो जाया करता है । तदनुसार इस सूत्र संख्या २-६१ को आगे आने वाले सूत्र संख्या २-७२ का अपवाद रूप सूत्र माना जाय । जैसा कि ग्रंथकार 'अधोलोपापादः' शब्द द्वारा कहते हैं । उदाहरण इस प्रकार हैं:-जन्मन जम्मो ।। मन्मथः = वस्नहो और मन्मनम् = मम्मणं || इत्यादि ।।
जम्मो रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १११ में की गई हैं। घामहो रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-४२ में की गई है।
मन्मनम् संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप भम्मणं होता है। इसमें सूत्र संख्या २-६१ से संयुक्त व्य-जन 'न्म' के स्थान पर 'म' की प्राप्ति; २-८६ से प्राप्त 'म' को द्वित्व 'म' की प्रापि; १.०२८ से 'न' का 'ण'; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त नपुंसक लिंग में 'मि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति और १-२३ से प्राप्त 'म् को अनुस्वार की प्राप्ति होकर मम्मणं रूप सिद्ध हो जाता है। ॥२-६१ ।।
ग्मो वा ॥२-६२॥ ग्मस्य मो वा भवति ॥ युग्मम् । जुम्म जुग्गं ।। तिग्मम् । सिम्म तिग्गं ॥
अर्थः - संस्कृत शब्द में यदि 'ग्म' रहा हुया हो तो उसके प्राकृत रूपान्तर में संयुक्त श्य-जन 'ग्म" के स्थान पर विकल्प से 'म' को प्राप्ति होती है । जैसे-युग्गम-जुम्म अथवा जुम्गं और तिग्मम्तिम्म अथवा तिग्गं । इत्यादि ।।
युग्मम संस्कृत रूप है। इसके प्राकृत रूप जुम्म और जुग्ग होते हैं। इनमें से प्रथम रूप में सूत्रसंख्या १.२४५ से 'य' का 'ज'; २.६२ से संयुक्त व्यञ्जन 'म' के स्थान पर विकल्प से 'म' की प्राप्ति २-८० से प्राप्त 'म' को द्वित्व 'म्म' की प्राप्ति; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त