Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown
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वेभसो यु (वैतसः) बैंस का पेड़, १-२०७।।
षोद्रहोमो स्त्री, (तरुण्यः) तरुण महिलाएं वेपालियो नि.पु. (तालिकः) मंगल-स्तुति आदि से
२-८०1 ___ जगाने वाला मागप आदि; १-१५२ । बोसिरणं मः (मुत्सर्जनम्) परित्याग; २१७४ । इल्लं न. (विचकिलम्) पुष्य-विशेष, १-१६५, २-९८ व्व धव. {इव) समात, उस जैसा; १.६,७,६१ वेकुण्ठो पु. (वैकुण्ठः) विष्णु का घाम; १-१९९ ।
२-३४, १२९, १५०, १८२, २११ । वेज्जो पु. (वैधः) वैद्य, चिकित्सक, हकीम: १.१४८;
२-२४। वेउिसो पु. (देतसः) बेत को लकी १-४६. २०७। शक सिक्खन्तु आज्ञार्थक (शिक्षध्वम्) शिक्षाशील हों; २-८० खुल्न न. (वेडूर्यम्) रहन की एक जाति २-१३३
शुभ् (धातु) शोभने अर्थ में । वेणुलट्ठी स्त्री. (वेणुयष्टिः) बांस की लाठी, छड़ी;
सोइइ अकर्मक आस्मने (शोभते) वह सुशोभित
होता है। १.१८७,२६. । १-२४७ । बेणू पु. (बेण:) वाय-विशेष, बंसी : १-२०३ ।
श्रम् (धातु) विनाम अर्थ में वेण्टं म. (वृन्तम) फल-पत्र आदि का बंधन
विसमइ मक. (विश्राम्यति) विश्राम करता है; १-१३९; २-३ । वेण्हू पु. (विष्णु) व्यक्ति विशेष का नाम: १-८५
क्षु (धातु) सुनने अर्थ में वेरं न. (वैरम्) दुश्मनाई, शत्रुता; 1-९५१
सोउआण सं. कृ. (श्रुत्वा) सुम करके; २.१४६ खेरि पु.विरि) शत्रु: १.६।
सोशा सं.क. (श्रुत्वा) सुन करके २-२५ ।
सुश्रो कि.(श्रुतः) सुना हुआ। १-२०१। वेरुलिनं न. (वैडूर्यम्) रन की एक जाति, २.१३३। घेलुवणं, वेलूवणं म. (वेणुवनम् ) बांसों का धन; १.४ ।
श्लिष (धातु} आलिंगन अर्थ में वेलू पु. (वेणु) बांस, १-२०३ ।
सिलिटुं वि. (क्लिष्टम्) आलिंगन किया हुआ; वेल्लन्तो व. कृ. (रममाणः) क्रीडा करता हुआ; १-६६ बेल्ली स्त्री. (वल्ली) लता, वेल; १-५८१
बालंदठुअं हे. कृ. आश्लेष्टम्) आलिंगन विरी वि.(पेपनधीलः) कांपने वाला; २-१४।।
करने के लिये; १-२४, २-१६४ । वेव्व अ. (आमन्त्रण अर्यक) आमंत्रण अर्षक २-१९४
आले? हे. कृ. (आइलेप्टम) आलिंगन करने वेश्ये अ (भयादि-अर्थक) मय, वारण, विषाद,
के लियः २-१६ ___ आमन्त्रण-अयंक २-१९३, १९४ ।
ओलिद्धो वि. पु. (आश्लिष्ट:) शालिंगित; घेसम्पायणो पु'. (वैशम्पायमः) व्यास ऋषि का शिष्य;
श्वस (धातु) इवास लेना। वेसकणो पु. (वश्रवणः) कुबेर; १-१५२ ।
ऊससा, सक. (उछ्वसति) बह ऊंचा सांस लेता वेसिनं न. (वैशिकम) बनेसर शास्त्र विशेष, कामशास्त्र; १-१५२ ।
वीससइ सक, (विश्वसिति) वह विश्वास करता वेसो वि.(देष्यः) देष करने योग्य, अप्रीति कर २९५ वेहरुवं न. (वैधव्यम्) विषवापन, रांडपन; १-१४८ । |
(स) वोकन्त वि. (व्यरक्रान्तम् ) विपरीत क्रम से स्पित;
स सर्व (सः) पहः २-१८४ ।
सइ स. (सकृत्) एक समय, एक वार; 2.01 बोटं न (वस्तम्) फल-पत्र आदि का बंधनः १-३९ सद अ. (सदा) हमेशा, निरन्तर; १.७२। वोतं, हे. कु. (वक्तुम्) बोलने के लिये २-२१७ । साइन न. (सैन्यम् ) सेना, लश्कर; १-१५१ । बोद्रह दे.वि. (तरुण) तरुण, युवा; २-८.
सहरं म. (स्वरम् ) स्वच्छन्दता; १-१५१ ।
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