Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown
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लहुषं न. (क) कृष्णानर, सुगन्धित धूप दम्य वाली म. (वैतालीयम् ) छाद-विष १.१५१ । विशेष : १२२।
वइएसो वि. (वैदेश:) विदेशी, परदेशी; १.१५१ । लहुवी स्त्री. वि. (कवी) ममोहर, सुम्बर; छोटो; एहो वि (दहः) मिथिला देश का निवासी विशेष
१-१५१। लालं. लाऊ न. (असाबुम्) तुम्बड़ी, फल-विशेष; १-६। वहजपणो वि. (वयनः) गोव-विशेष में उत्पन्न; १.१५१ नायएणं न. (कावण्यम् ) शरीर सौन्दर्भ, कान्ति;१-१७७, बइदम्भो पु. वैदर्भ) विदर्भ देश का राषा आदि । १८॥
वरं न. (वयम्) ल-मेष, हीरा, ज्योतिष लासं न. (लास्यम्) वाघ, नए और गीतमय नाटक
प्रसिद्ध एक योग; १-६; २१०५। विपोष, २-१२।
बरं, रिमा बसता, यमनी की भावना लाहा सक. (कलापले) वह प्रशंसा करता है। १-१८७
१-१५२। लाहलो पु. (लाहल:) म्ले भन्छ-जाति-विशेष; १-२५६ । | वहसम्पायणी पु. (सम्पायमः) म्यात ऋषि का शिष्य;
लिहइ सक, (लिचति) बह मिला है; ५-१८७ लित्तो वि. (लिप्त लोपा खुमा, सगा हुआ, १६ : वइसवणो पु. (श्रवणः) कुबेर; १-१५२ । लिम्यो (वि:) मीम का पेक, १-२३०१ वइसालो कि.(शा) विशाला में सत्पन्न १-१५१ ।
लुछये कि. (कप:) योमार, रोगी, मग्न; १-२५४; २-२| वइसाहो पु. (वैशाख:) शाल नामक मात्र विशेष ; लुग्गो वि. (ग्ण:) बीमार, रगी, कम्न २.२। लेण वि. (लेखेण) लेख से लिखे हए से; २-१८९ । बइसिश्र न. (वशिकमनंतर शास्त्र विशेष : काम दोश्रो पु. (लोकः) लोक, पपत्, संसार; १-१४७ | शास्त्र; १-१५२। .१-२००।
वहस्ताण पु. (वैश्वानरः) वह चिक्क पक्ष, सामवेद लोस्स पु. (कस्म) लोक का प्राणी वर्ग | ' का मक्यव विशेष; १.१५१।। का; १.१८०।
मियो नि. (वाशिक:) बाप्त बास जाने वाला १-७० लोणा पु. न. (लोधनानि) से अथा बाचों को वसो पु. (वंशः) संतान-संतति, माल-बन, बांस; १-३३२-७४।
१.२६०। लोअणाई पु. नः (लोचनानि) आखें अथवा | . वा न (वाक्य) पद समुदाय; शब्द-समूह; २-१७४ आंखों को; १-३३ ।
यकवं न. (वल्ककम्) वृक्ष की छाम २-७१ । मोबाणामं पु. न. (लोचनानाम्) आंखों का, को वाखाणं न. (प्पास्मानम) कवन, विवरण, विशद रूप के २-१८४।
से अर्थ-परूपण, २९.1 लोगन्स पु. (लोकस्य) लोक का, संसार का, प्राणो वर्ग वमा पु. (वर्गः) जातीय समूहः प्रक-परिच्छन-सर्ग,
अध्ययन, १.१७% -७१। लोणं न. (लवणम) ममका १-१.१ ।
वग्गे पु. (बर्ग। वर्ग में, समूह में; १.६ । लोड श्री पु. (जुब्धकः) लोभी, शिकारी, 1-९१६;२७९ वको : (च्या) काष, रक्त एरमका पेड़, करज
वृक्ष, २९.।
वर्क वि. म. (कम्) बांका, टेंडा कुटिल; १-२६ ॥ व अ. (वा) अथवा, १-६७ । स्व, व अ. (इव) उपमा, सादृश्य, तुलना, उपेक्षाधक वोतं. हे. कृ. (वक्तुम् ) बोलने के लिय; २-२१७ । भव्यय विशेष: २-३% १८२१
वाइएण वि. (वाचितेन) पड़े हुए से, बचे हुए से; दामालिश्रो वि. (वैतालिकः) मंगल-स्तुति आदि से । २-१८९ । जगाने वाला मागष आदि; १.१५२॥
बच्छंग, (वक्षस् छाती, सीना; २-१७।

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