Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown
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पच्छो पु. (वृक्षः) पेड़, दुम, २-१७, १२७॥
षणोली स्त्री. (बनावसी) अरण्य-भूमि, २.१७७ वच्छं पु. (वृक्षम्) वृक्ष को १-२३ । वण्णा पुं. (वर्ण:) प्रशंसा, इलाघा, कुंकुम, १-१४२ । वच्छस्स पुं० (वृक्षस्य) वृक्ष का; १-२४९ । । गीत कम, चित्र, १-१७७ । वच्छाश्री पुं० (वृक्षात्) पृक्ष से 1-५ वरही पु. (वलिः) अग्नि, चित्रक वृक्ष, भिलाका का वच्छेण, वच्छण पू. (वृक्षन) वृक्ष द्वारा,
पेड़, २-७५ । । क्ष से; १.२७।
वतनकं (प.) न. (वदनम्) मह. मुख; उक्ति, कथन; वच्छेसु, यच्छसुपु. (वृक्षेष) वृक्षों में;
२.१६४. वृक्षों के ऊपर; १-२७।
वतनके (प.) न. (वदने) मुख में, मह पर, वज न. (वयम्) रल विशेष, होरा. एक प्रकार का
उक्ति में २-१६४ । लोहा; ११७७, २-१०५॥
व म. (पात्रम्) भाषन, बरतन, १-१४५ । वजन. (वयंम्) श्रेष्ठ, २.२४
पापी बारी पात, अथा । यज्झए कर्मणि . (बध्यते) मारा जाता है; २-२६ । वत्तिश्रा स्वी- (यतिका) बसी, सलाई, कलम २.३. घरो पु. (माजीरः) मंजार, विल्ला, बिलाव; २-१३५चियो बि. (वार्तिक:) कथाकार; २-३० । घट्ट न. (वृत्तम्) गोलाकार; १-८४ ।
वन्दणं न. (पन्धनम) प्रणाम, स्तवन, स्तुतिः १-१५१ वट्टा स्त्री. (वार्ता । मात, कथा; २-३० ।
बन्दामि सक. (व.) में वंचना करता हूँ। १-६ वट्टी स्त्री (वतिः) बत्ती, अखि में सुरमा गाने की
सलाई २-३० । बटुलं वि. म. (वलम्) गोष, वृत्ताकार, एक प्रकार पन्दित्त वन्दित्ता सं. कु. (वन्दित्वा) वंदना का कंद मूल २.३०।
___ करके २.६ बट्टो पु. (वृत्तः) गोस, पथ, एलोक, कछुआ, २०२९ वन्दारया वि. (वृन्दारकाः) मनोहर, मुख्य, प्रधान : १-१३२ बळं म' (पृष्टम्) पीछे का तल; १.८५, १६ । । वन्द्र न. (वन्द्रम्) समूह. यथ: १५३ १.७१। बडिसं न. ( वशिम् ) मछली पकड़ने का कोटा: धम्कह सक. (कांक्षति) वह इछा करता है। १३. १२०२१
वंफइ सक. (कांक्षति) वह इच्छा करता है। वाइयर दे.वि. (बुतरम्) विषेष बड़ा, २-१७४।
बढो देश. पु. (ब४३) दरवाजे का एक भाग; १.१७४ वमहो पु. (मन्मथ:) कामदेव, कंदर्प; १-२४२॥ ५-६१ बदरी, पदलो पु. (बठर:) मूर्ख, मात्र, शठ, धूर्त, मग्व, । वम्मिश्री पु. (वल्मीक:) कीट विशेष द्वारा कुल मिट्टी आलसी, 1-२५४ ।
का स्तूप; १-१०१। यणप्फई पु. (वनस्पतिः) फूल के बिना ही जिसमें फल | बम्हलो दै. पु. (? अपस्मारः) केशर, २-१७४। लगते हों वह वृक्षः २-६९ ।
वयंसो पु. (वयस्यः) समान काय वाला मित्र; १.२६ वर्णन. (बनम्) अरण्य, जंगल; १-१७२।
२-१८६। वणम्मि, वर्णमि न. (वने) जंगल में, अरण्य
वयरएं न. (वचन) उक्ति, कथन, वचन; १-२२८ । में;1-२३॥
वयणा, अयणाईन (वचनानि) उक्तिया, विविध कपन, घणे न. (वन) बंगळ में; २.१७८ । वणस्सद पुं० (वनस्पतिः) फूल के बिना ही जिसमें फल वयं न. (वयस्) आयु, उन्ना १-३२ । लगते हों वह वृक्ष; २-६९।
घरवणिया स्त्री. (वनिता) स्त्री, महिला, नारी; २-१९८ पाउओ वि. (प्रावृतः) ईका हुआ; १-१३१ । वणे अ. (निश्चयादि अपंक निपातम्) निश्चय, निउर्थ वि. (निवृतम्) परिवेष्टित, घराया विकल्प, अमकम्पनीय अर्थक अव्यय; २-२०॥
हुबा १-१३१॥

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