Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 591
________________ - - - - - १४.) मेटी पु. (मेषि:) मलिहाय में पशुः को गांधने का | रच-- काष्ठ-विशेष; १२१५ विरएमि अक (विरमादि) में श्रीग करता मेर म. (माणम्) मान, सोमान्त; १-८१ । मेरा स्को, देशज.(?) (मिरा) मर्यादा, २.८७ । । रणरण्यं (देशज वि.) (रणरणकम् ) मिरवरस, जोग, मेहला स्त्री. (मेला) कापी, करधनी, कटि में उत्कण्ठा; २-२०४। पहिनने का आभूषण; १९८७ । रणं म. (भरण्यम्) बंगल; १-६६ । मेहा पु.(मेघाः) बादल १-१८७ । रत्ती स्त्री. (रात्रिः) रात, निना २-७९.८८ । मेहो पु. (मेघः) बादल, १-१८७ । रत्तो वि.पु (रक्तः) लाल वर्ण वाला; २-१०। मोजवं म. (मोक्षम्) छुटकारा, मुक्ति; २-१७६ । रममोगारो पुं. (मगर) मोगरा का गाछ, पेर विशेष, आदतो, पारद्धो वि. (आररूप:) शुरु किया मुदगर, १-११५, २-७७ । हुआ; २-१३८ मोएडं न. (मुण्डम्) मुण्ड, मस्तक, निर; १-११६, २०२ रस्मोन संबंष कु. (मुस्वा) छोड़ करके; २-१४१ रमइ अक. मात्मने पदी (रमते) बइ क्रीड़ा मोस्था हलो. (वृत्ता) मोथा, नागर भोपा नामक औषधि करता है। १-२०२१ विशेष, १-१२। रमित्र संबंध कृ. (मित्वा) रमण करके; मोरपल्ला स. , फिजूतः २४ २-१४६ । मोरो . (मयूरः) पशि-विपोष; मोर; १.१७१। रयणं न. (रलम्) रल, माणिक्य, मणि २.१.4 मोल्लं न. (मूल्यम्) कीमत १-१२४ । रयणी अरो पु. (रजनीवरः) रात्रि में चलने मोसा अ. (मृषा) झुट, मिथ्या, अदृत१९३६। वाला राक्षाश, १-८। मोसावाश्री पु. (मृषावावा) मिथ्या वचन, झूठे बोल; रयदं न. (रजतम्) चादी नामक पातु: १-२०१ रययन. " " " " -१७७: मोहो पु. (मयूषः) किरण, रश्मि, तेज, कान्ति, शोभा, १८०, १०१। रवी पु. (रवि:) सूर्य; १.१७२। रस पु.न. (रस) मधुर आदि रस, २.१६४ । रसायलं न. (रसातलं पाताल लोक, पुच्चो केनोपका य अव. (च) हेतु-सूचक, संबंध-सूचक अव्यय; और | अंतिम भाग; १.१७७, १८.1 २-१८४१.५७। यई न. (सटम्) किनारा; १-४॥ रसालो पु. रसाल:) आम्र वृक्ष, आम का गाछ; २-१५९ । जामि अक. (यामि) में जाता हूं; २-२०४ । रस्सी स्त्री. (रक्ष्मिः) किरण, रस्सी; १-३५, २-७४, ७८ । रहस्सं वि. रहस्यम् गा, गोपनीय, एकान्त का; र प. (पाच पूरणे) लोक चरण की पूर्ति के अर्थ २-१६८,२०४॥ में प्रयुक्त किया जाने वाला अध्यय विशेष रहुबइणा पु. (रभुपतिना) रघुपति से;२.१८८ राहक न. (राजकीयम्) राज-संबंधी; २-१४८ । रणी अरो पु. (रचनीचर) रात्रि में चलने वाले राक्षस ! राई स्त्री. (रात्रिः) रात. निया; २-८८ । आदि; १-८ । राईवं न (राजीवम्) कपल, पद्म; १-१८० । रह स्त्री. (रति) नाम-विशेष; कामदेव की स्त्री | राउलं न. (राजकुलम) राम-सम्हा राजा का बंध; रग्गो पु. (रक्तः) लाल वर्ग, ३.१०, ८९ । १-२६७। -

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