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* प्राकृत व्याकरण
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'' व्यञ्जन के पूर्व में स्थित हलन्त व्यञ्जन 'ष' में श्रागम रूप 'अ' की अथवा 'इ' की प्राप्ति केवल वर्णवाचक स्थिति में ही होती है; द्वितीय अर्थ वाचक स्थिाले में नहीं। ऐसा विशेष अर्थ बतलाने के लिये ही मूल-सूत्र में 'वर्ण' शब्द जोड़ा गया है। उदाहरण इस प्रकार है: - कृष्ण: = (विष्णु-वाचक) = कहो होता है । को भी नहीं होता है और कसियो भी नहीं होता है। यह अन्तर ध्यान में रखने योग्य हैं ।
कसयो, कमियों और करहो; इन तीनों की सिद्धि सूत्र संख्या २७५ में की गई है ।। २ ११० ॥ उच्चार्हति ।। २-१११ ।।
अर्हत् शब्दे संयुक्तस्यान्त्य व्यञ्जनात् पूर्वी रत् श्रदितौ च भवतः । श्ररुहो रहो अरिहो । रुहन्तो अरहन्तो अरिहन्तो ॥
अर्थः-संस्कृत शब्द 'अर्हत' के प्राकृत रूपान्तर में संयुक्त व्यञ्जन 'ई' के पूर्व में स्थित हलन्त व्यक्जन 'र्' में कभी श्रागम रूप 'उ' की प्राप्ति होती हैं; कभी आगम रूप 'अ' की प्राप्ति होती हैं, तो कभी श्रागम रूप 'इ' की प्राप्ति होती है। इस प्रकार 'अहत्' के प्राकृत में तीन रूप हो जाते हैं । उदाहरण इस प्रकार है:–अर्हन् = अरुहो अरहो और अरिहो || दूसरा उदाहरण इस प्रकार है:- म हन्तो, अरहन्तो और अरिहन्तो ॥
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अर्हन् संस्कृत रूप है | इसके प्राकृत रूप अरुहो, अरहो और अरिहो होते हैं। इनमें सूत्र संख्या २-१११ से संयुक्त व्यजन है' के पूर्व में स्थित हलन्त व्यब्जन 'ए' में क्रम से पक्षान्तर रूप से अगम रूप 'उ'; 'अ' और 'इ' की प्राप्ति; १-११ से अन्य व्यन्जन 'न' का लोप और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर क्रम से अरुहो; अरहो और आरही ये तोनों रूप सिद्ध हो जाते हैं ।
अर्हन्तः संस्कृत रूप हैं । इसके प्राकृत रूप श्रमहन्ती, अरहन्तो और अरिहन्ती होते हैं । इनमें सूत्र संख्या २-१११ से संयुक्त व्यञ्जन 'ई' के पूर्व 'में' स्थित हलन्त व्यंजन 'र् में क्रम से पक्षान्तर रूप से आगम रूप 'उ'; 'अ' और 'इ' की प्राप्ति; और १-३७ से अन्त्य विसर्ग के स्थान पर 'ओ' को प्राप्ति होकर कम से अरुदन्त', अरहन्ती और अरिहन्तों से तीनों रूप सिद्ध हो जाते हैं ।। २-१११।।
पद्म-छम मूर्ख द्वारे वा ॥२- १२२॥
एषु संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात् पूर्व उद् वा भवति || परमं पोम्मं । उमं ब्रम्मं । गुरुक्खो मुक्खो । दुवारं । पते । वारं । देरें । दारं ||
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अर्थः- संस्कृत शब्द पद्म, छद्म, मूर्ख और द्वार में प्राकृत रूपान्तर में संयुक्त व्यब्जन 'द्म' के पूर्व में स्थित हलन्त व्यञ्जन 'दु' में, संयुक्त 'ख' के पूर्व में स्थित हलन्त व्यञ्जन 'टु' में और संयुक्त