Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown
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नीवो स्त्री. ( नीयो ) मूम-धन, पूजी, नाड़ा, इनार | पई पु. {पतिः) स्वामी, १-५ । बन्द १-२५९।
पन लि.(पीएम) प्रतिकला १-२०६१ नीवो (नीः ) कदम्ब का पेड़, १-२३४ ।
पईवो पु. (प्रदीपः) दीपक, दिया; १.२३१ । नीसरह मक. (निसंरसि) निकलता है। १-१३ ॥ पईहरं न. (पतिगृहम) पति का घर 1.४ । नीसहो वि. पु. (निसहः) अशस्त; १.४३ । पउट्ठो पुं. वि. (प्रवृष्टः) बरसा हुआ; १-१३१ ।
नोसह न, (निर-सहम्) असहनीय; १-१३ । । पउटो पु.(प्रकोष्ठः) कोहमी के नीचे के भाग का नीसामनहिं वि. (निस्सामान्यैः असाधारणों से; २-२१२ ।
नाम: १-१५६। नीसासूसासा .(निश्वासोच्छ्वासो) श्वासोश्वास; १-१० । पउणो वि. (प्र गुणः) पद, निर्दोष, नेशर १-१८० । नीसासो वि. (निश्वासः) नि:श्वास लेने वाला; १-१३; | पजत्ती स्त्री. (प्रवृत्तिः) प्रवर्तन, समाचार, कार्य; 1-१३१
पउन न. (पम् ) कमल; १.६१, २-११२१ नीसित्तो वि, (निषिक्तः) प्रत्यन्त सिक्त पीला१.४३/ परजण पु. (पौर-जन) नगर-निवासी, नागरिक १-१६२ नीसो पु. (नि: स्व:) १.४३ ॥
पउरं पि. (प्रचुरम्) प्रभूत, बढ़तः १-२८० । नु अ. (न) निश्चय अर्षक अव्यय; २-२०४॥ परिसं न. (पौरुषम्) पुरुषत्व, पुरुषार्थ ५-६१५, १६२ नूउरं न. (नपुरम्) स्त्री के पांय का माभूषण; १.१२ पटरी पु. (पौरः) नगर में रहने वाला; १-१६१ । नूण-नूणं अ (नूनम् । निश्चय अर्थक, हेतु भर्यक अव्यय पओ पु. (पयः) दूध और नला १-३२ ।
पोश्रो पु. (प्रयोगः) काम में लाना; शब्द योजना नेजरं न. (नूपुरम) स्त्री के पांव का आभूषण; १-१२३|
१-२४५. नेड-नेई न. (नीडम्) घोंसला; २-९९ ।
पंको पु० (पंकः) कोच!; १.२० । नेत्ता पुं. न. (नेत्राणि) अखि १-३३ ।
पंसरणो वि. ( पांसनः ) कलंकित करने वाला; दूषण नेताई न. (नेत्राणि) आंखें १-३३ ।
लगाने वाला; १-७० । मेरहश्री वि. (मरपिकः) नरक में उत्पन्न हुआ जीय; १-७९/ पंसुलि स्त्री. (पासुली) फुल्टा, व्यभिचारिमी स्त्री; नेहालू वि. (स्नहाल:) प्रेम करने वाला; २-१५९। नेहो पू. (स्नेहः) तेल आदि चिकना रस, प्रेम, २.७७. पंसू पु. (पासु) (पशि) धूली, रज, रेणु, १-२९,
७० । नोमालिया स्त्री. (नवमालिका) सुगन्धित फूल वाला वृक्ष पंसू पुं० (पशु) कुठार, कुल्हाड़ा; १.२६ । विशेष; १-१७.।
पकं वि. (पक्वम्) पका हमा; १-४७, २-७१। नोहलिया स्त्री. (नव फलिका) ताजी फली.मबोतल फली, पका वि. (पकवा) पकी हुई; २.१२९। नूसन फल वालो। १.१७० ।
पालो देशज वि. (समर्षः) समर्ष, शस, २-१७४ | पक्ख पु. (पक्ष) तरफ और २.१६४ ।
पक्स्से पु० (पक्ष) पक्ष में, तरफदार में, बत्पा में; पइट्ठा स्त्री. (प्रतिष्ठा) प्रतिष्ठा, इज्जत, सम्मान | ६-३८, २०६।
पक्खो पु० (पक्षः) आधा महोना; २-१०६ । पइट्टाणं न. (प्रतिष्ठानम्) स्थिति, अवस्थान, आधार, | पको-को पु. (पङ्कः) कीचहा १-३० आधय; १-२०६।
पंगुरणं न. (प्रावरणम्) वस्त्र, कपड़ा; १-१७५ . पइट्टियं वि. (प्रतिष्ठितम्) रहा हुआ; १.३८ । पचओ पु. (प्रत्यय:) व्याकरण में शम के साथ जाने पडण्णा स्त्री. (प्रतिज्ञा) प्रतिज्ञा, प्रण, शपथ; १-२०६।।
वाला शब्द विशेष; २-१३ । पइसमयं नः {प्रतिसमयम् } प्रतिक्षण, हर समय; २-२०६ पच्चरित्र देशास वि. (?) (रित ) झरा हमा; टपका पदहरं न. पतिगृहम् ) पति का घर; १.४।
हमा;-१७४)

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