Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 588
________________ णुमण्णो बि. (निमग्नः) दवा हमा, तल्लीन । मणियं अ. (मनाक) अल्प, पोड़ा; २-२६६ । हमा ६.९४, १७४। | मणुअत्तं न. (मनुषत्वम्) मनुष्यता; १-८ । म न (मएम) मदिरा: २-२४। . । मणूमो पुं० (मनुष्यः) मनुष्य, 1-४३। मनाया स्त्रीः (मर्यादा) मीमा, हर, अवधि, कूल, मणे अ. (विभ-अर्थक) विचार-कल्पना के अर्थ में किनारा; २-२४॥ प्रमोग किया जाने वाला अध्यम-विशेष; २.२०७॥ मज्जारो पु. (मात्रार:) विल्ला, बिलाव; १२५ मणोपण वि. (मनोनम) सुन्दर, मनोहर, २-८३ २-१३२ मणोसिलो स्त्रो. (मन:शिला) कालवण की एक उपधातुः मज्यहो, मज्झन्न पु. (मध्याः ) दिन का मध्य भाग; दोपहर, २८४॥ मनोहरं वि. (मनोहरम) रमणीय, सुन्दर; १-२९६ । मझ न. (मध्यम्) संख्या विशेष, अन्त्य और परार्य | मण्डलग्गं न. (मण्डलायम) मण्डम का भर माग तलवार के बीच की संख्या २-२६,९.1 मझिमो पु. (मध्यमः । मध्यम, १-४८ । मण्डलग्गो . (मण्डलायः) सलवार, खग; मन्जरो पु. (माओर) मंगार; बिलाव, बिल्ला; २-१३२ मञ्जारो पु. " " गिल्ला, बिलाव १२६ | मण्डुको पु. (मला) मॅठक, पादुर; २-६८। मट्टिया स्त्री. (मृत्तिका) मिट्टी; २.२९। । ते नम : । म वि. म. (मृष्टम्) माजित, शुद्ध, चिकना १-१२८ मन् म मट्ठा वि. (मष्टाः) पिसे हुए; चिकने किये हुए मन्ने सक. (मन्य) में मानता हूँ; १-१७१। २-१७४ । माणिो वि.(मानितः) माना हुआ, सम्मान मडप्फर (देशज) पु. (? गर्व:) अभिमान, अहंकार; २-२७४ ।, किया हुआ, २१८.। मलयं न. (मृतकम्) मा, शव, लाश; १-२०६। मन्तू पुं० (मन्युः। क्रोष, अहंकार, अफसोस; २.४४ मह सरिमा वि. (हे मुतक-सद्दश ! ) हे मुर्दे के समान; मन्दरयव पु० मिन्दर वट) मेह पर्वत का तट किनारा २.१७४। २.२०१६ मड़ियो वि. (मषित: जिसका मदन किया गया हो । मन्नू ० (मन्यु:) क्रोध, अहंकार अफसोस; २-२५ वहः २-३६। मन्ने सक. (मन्ये) में मानता हूं; १-१७१। मदो पु. (मठः) सम्यासिओं का बाश्रम, प्रतियों का मम्मणं न. (मन्मनम्) अव्यक्त वचन; २-६१ ॥ निवास स्थान; १.१९९। मम्मी पु. (ममं) रहस्यपूर्ण गुप्त बात; जीवन स्थान, मणयं अ (मनाक्) अल्प, पोड़ा, २.१६९ । मणसिला स्त्री. (मनशिला) लाल वर्ण की एक उप पातुः सन्धि; १-३२ । १-२६ । मयगलो दि. (मदकल:) मन के उत्कट, नशे में चूर; मणहर वि. (मनोहरम्) रमणीय, सुन्दर; १-१५६ । 1९८२। . मणंसिला स्त्री. (मनाषिला) लालवर्ण की एक उपचातु, ..मयको पु. (मुगा) चन्द्रमा १-१३०, १७७, १८० मैंनधी १-२६ । मयच्छि स्त्री. ( मगाशी ) हरिण के नेत्रों जैसी सुन्दर मणंसी, मणमिणी पु. स्त्री. (मनस्वी, मनस्विनी। प्रशस्त . . नेत्रों वाली स्त्री. २-१९३1 मन वाला अपवा प्रशस्त मन वाली मयणो पु. (महना) कन्दर्प, कामदेव; १.१७७, १८० 1-२६, ४४। २२८। मणा अ (मनाम) अल्पसा, थोडासा २.१६९ । मयर-द्धय पु. (मकर ध्वज) कग्य, कामदेव; १-७॥ मणासिलो स्त्री. (मन.क्षिला) लालवणे की एक उपधातु, मरगय . (मरकत) नीलवर्ण वाला रत्न-वियोष : मनशील १.२६,४३ । पन्ना; २-१९१।

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