Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown
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कम्स स. (कस्य अपवा कस्म) किसका अथवा किसके खो पु. (मयः) सय, प्रलय, विनाया; २-३ । लिये ; ३-२०४।
खग्गं न. (खगः) तलवार; १-३४। कत्तो म. (कृतः) कहां से किस तरफ से; २-१६. खग्गो . (,) ॥ १-३४, २०२; २-७७ ॥ करतो, कदो अ. (,), " "
खट्टा स्त्री. (खट्वा) खाट, पलंग, पारपाई १-२९५ । कोउहल्लं न. (कृतहलम्) कौतुक; परिहास; १-११७, खणो पुं, {क्षण:) काल का भाग विशेष; बहुत पोड़ा
सपब २-२०॥ कोहलं म. (कुतूहलम्) कौतुक; अपूर्व वस्तु देखने की खण्ड म. (खण्डम्) टकरा माग: २-१७ । -:: लालसा; १-११७ ।
खण्डिो वि.पु. (सण्डितः) टूटा हुआ. १-५३ । कोच्छे अयं न. (कौक्षेयकम् } पेट पर बंधी हुई तलवार, खरगूप. (स्थाणः) छूट; शिवजी का नाम: २.९९ ।
खसिवाणं. (अत्रियाणाम् ) क्षत्रियों का; २-१८५ । कोचो पु. (क्रौञ्चः) पक्षि-विशेष; इस नाम का | खन्दो - (स्कन्दः) कातिकेयपहानन; २-५ । अनार्य वेश; १-१५९ ।।
सन्धावारी '. (स्कापाषा:) छावनी; सेमा का पड़ाव फोट्टिम न. (कृष्टिमम् ) अगिण विशेष; झोपड़ा विशेष : | शिविर ३-४ । रनों की खान; १.११६ ।
खन्धो पु. (स्कन्धः) पिण्ड पुद्गलों का समूह कन्या - कोण्डं न. (कृयहम् ) कडा; जलाशय-विशेष; १.२०२। पेड़ का घर, २-४ । कोण्तो वि. (कुण्ठः) मंदा मूर्ख १-११६ ।
खप्परं पु. न. (कपरम्) खोपड़ी; घट का टुकड़ा; भिक्षाकोत्थुहो ० (कौस्तुभः) मणि-विशेष; १-१५९ ।
पात्र; १-१८1। कोन्तो पु. (फन्तः) भाला; हथियार-विशेष; १-११६ __खमा स्त्री. (क्षमा) क्रोष का अभाव; समा; २कोप्परं न. पु. परम्) कोहनी नदी का किनारा; | खम्भो पु. (स्तम्भः) खम्मा; पम्मा १-१८७, २८,८९ तट१-१२४ ।
खर वि. (खर) निष्कर, खा; कठोर; २-१८६ । कोमुई स्त्री. (कौमुदी) घरद ऋतु की पूर्णिमा, चांदनी; खलित्र वि. (वाशित) खिसका हा; २-०७।
| स्खलि वि. (स्खलितम्) ,, २.८९ । कोसम्बी स्त्री. (कौशाम्बी) नगरी विशेषः १-१५९। खल्लीडो पु. शि. (खल्लवाट:) जिसके सिर पर पास न कोसिओ पु. (कोशिकः ) कौशिक नामक तापस; १-१५९
हों; गजा; चंदला; १-७४। कोहएडी स्त्री. (फूष्माण्डी) कौहले का गाछ; १-२२४;
खसिधे न. (कसितम्) रोम-विशेष; सांसी, १-१८१।
खसिओ बि. (खचितः) व्याप्त; जटित; मष्ठित कोहलं न. (कुतूहलम्) कोतुक, परिहास; १-१७१ ।
विभूषित; १-१९१॥ कोहलिए स्त्री. (हे कलिके ! । हे कौतुक करने वाली खायो वि. (यात:) प्रसिद्ध (विख्यात्) २.१.. स्त्री; १-१७१।
खाइरं पि. (खादिरम्) खेर के वृक्ष से सम्बंधित १-६७ कोहली स्त्री. (कूष्माण्डो) कोहले का गाछ; -१२४, खाणू पु. (स्थाण) 8 रूम वृल; शिवजी का नाम:
कौरवा पु. कौरवाः कुरु देश के रहने वाले; १-१।
खासिधे न. (कासितम्) बासी रोग विशेष, ६-२८३ । खएवं न, (खण्ड) खण्ड, टुकड़ाः २-६७ ।
खित न. (क्षेत्रम्) सत उपजाऊ जमीन; २-१२७ ।
खीणं वि. (क्षोणम्) आय-प्राप्त नष्ट, विभिन्न दुर्वन (ख) खइनो वि. (खचितः) व्याप्त जटिल, मण्डित: विभूषितः खीरं न. (क्षीरम्) दूध, पानी; २-१७।
स्त्रीरोश्रो पु. क्षीरोदः सम-विशेष शीर-सामर; २-२८२ खइरं वि. (खादिरम्) खेर के वृक्ष से सम्बंधित; १-६७. खीलो पु. (कोलक:) लीला, द; लूटी; १.१८॥

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